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योग या Yoga का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, प्रकार तथा महत्व

योग शब्द का शाब्दिक अर्थ जोड़ना या मिलन कराना है। योग शब्द के इस अर्थ का भारतीय संस्कृति में बहुत अधिक प्रयोग किया गया है । जैसे गणित शास्त्र में दो या दो से अधिक संख्याओं के जोड़ का योग कहते है । चिकित्सा शास्त्र में विभिन्न औषधियों के मिश्रण को योग कहते है, ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की विभिन्न स्थितियों को योग कहते है।

योग क्या है? (What is Yoga)

बहुत से अन्य क्षेत्रों में योग शब्द का विभिन्न अर्थों में प्रयोग किया गया है। किन्तु हम आध्यात्मिक क्षेत्रों में इस शब्द के अर्थ पर विचार करते है तो वहाँ उसका अर्थ अपने आप से युक्त होना अर्थात् अपने स्वरूप में स्थिर हो जाना या जीवात्मा का परमात्मा से मिलन योग कहा जाता है । 

योग दर्शन में कहा है – ‘‘तंद्रा द्रश्टु: स्वरूपेऽवस्थानम् ।’’ जब चित का क्लिष्ट और अक्लिश्ट उभय प्रकार की वृतियों का अभाव या निरोध हो जाता है तब दृश्टा-आत्मा का स्व स्वरूप यानि ब्रह्मस्वरुप में स्थित हो जाता है । योग शब्द को संस्कृत व्याकरण के ‘युज’ धातु से उत्पन्न हुआ मानते है।

संस्कृत व्याकरण के पाणिनी के गण पाठ में युज धातु तीन प्रकार से प्रयोग में लायी गई है जो इस प्रकार है –

  • ‘‘युज समाधौ’ – (दिवादिगणीय)
  • ‘‘युजिर योगे’’ – (अधदिगणीय)
  • ‘‘युज संयमने’ – (चुरादिगणीय)

इनमें प्रथम धातु का अर्थ समाधि है, द्वितीय धातु का अर्थ मिलन या संयोग तथा तृतीय धातु का अर्थ संयम है । 

योग का अर्थ (Meaning of Yoga)

अधिकतर विद्वानों ने आध्यात्मिक क्षेत्र में योग शब्द का अर्थ प्रथम ‘‘धातु’’ युज समाधौ से ही निष्पन्न हुआ माना है । महर्षि व्यास भी योग शब्द का अर्थ करते हुए कहा है कि समाधि को ही योग कहते है । ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के युजिर् धातु से हुई है, जिसका अर्थ है-’सम्मिलित होना’ या ‘एक होना’। इस एकीकरण का अर्थ जीवात्मा तथा परमात्मा का एकीकरण अथवा मनुष्य के व्यक्तित्व के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक पक्षों के एकीकरण से लिया जा सकता है।  

‘योग’ शब्द ‘युज’ धातु से बना है। संस्कृत व्याकरण में दो युज् धातुओं का उल्लेख है, जिनमें एक का अर्थ जोड़ना तथा दूसरे का मन: समाधि, अर्थात् मन की स्थिरता है। अर्थात् सामान्य रीति से योग का अर्थ सम्बन्ध करना तथा मानसिक स्थिरता करना है। इस प्रकार लक्ष्य तथा साधन के रूप में दोनों ही योग हैं। शब्द का उपयोग भारतीय योग दर्शन में दोनों अर्थों में हुआ है। 

योग शब्द का अर्थ भिन्न-भिन्न प्रकार से लिया गया है।

  • ‘पाणिनीयों धतु पाठ’ में योग का अर्थ- समाधि, संयोग एवं संयमन है। 
  • ‘अमर कोश’ में इसका अर्थ- कवच, साम-दाम आदि उपाय, ध्यान, संगति, युक्ति है।
  • ‘संस्कृत-हिन्दी कोश’ में इसका अर्थ- जोड़ना, मिलाना, मिलाप, संगम, मिश्रण, संपर्क, स्पर्श, संबंध है। 
  • ‘आकाशवाणी शब्द कोश’ में इसका अर्थ- जुआ, गुलामी, बोझ, दबाव, बन्धन, जोड़ना, नत्थी करना, बाँध देना, जकड़ देना, जोतना, जुआ डालना, गुलाम बनाना लिया गया है। 
  • ‘मानक अंग्रेजी-हिन्दी कोश’ में योग का अर्थ- चिन्तन, आसन, बतलाया गया है।
  • शब्द कल्पद्रुम’ में योग का अर्थ- उपाय, ध्यान, संगति, है।
  • ‘ए प्रक्टिकल वैदिक डिक्सनरी’ में योग शब्द का अर्थ- जोड़ना है।
  • ‘उर्दू-हिन्दी शब्द कोश’ में योग शब्द का अर्थ- बैल की गर्दन पर रखा जाने वाला जुआ बतलाया गया है। 

पाणिनी ने ‘योग’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘युजिर् योगे’ ,’युज समाधो’ तथा ‘युज् संयमने’ इन तीन धातुओं से मानी है। प्रथम व्युत्पत्ति के अनुसार ‘योग’ शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग किया गया है।, महर्षि पतंजलि ने योग शब्द को समाधि के अर्थ में प्रयुक्त किया है। व्यास जी ने ‘योग: समाधि:’ कहकर योग शब्द का अर्थ समाधि ही किया है। 

योग की परिभाषा (Definition of Yoga)

योग की परिभाषा योग शब्द एक अति महत्त्वपूर्ण शब्द है जिसे अलग-अलग रूप में परिभाषित किया गया है।

1. पातंजल योग दर्शन के अनुसार-  योगष्चित्तवृत्ति निरोध: अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।

2. महर्षि पतंजलि- ‘योगष्चित्तवृत्तिनिरोध:’ यो.सू.1/2 अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध करना ही योग है। 

चित्त का तात्पर्य, अन्त:करण से है। बाह्मकरण ज्ञानेन्द्रियां जब विषयों का ग्रहण करती है, मन उस ज्ञान को आत्मा तक पहुँचाता है। आत्मा साक्षी भाव से देखता है। बुद्धि व अहंकार विषय का निश्चय करके उसमें कर्तव्य भाव लाते है। इस सम्पूर्ण क्रिया से चित्त में जो प्रतिबिम्ब बनता है, वही वृत्ति कहलाता है। 

3. सांख्य दर्शन के अनुसार-  पुरुशप्रकृत्योर्वियोगेपि योगइत्यमिधीयते। अर्थात् पुरुष एवं प्रकृति के पार्थक्य को स्थापित कर पुरुष का स्व स्वरूप में अवस्थित होना ही योग है।

4. महर्षि याज्ञवल्क्य –  ‘संयोग योग इत्युक्तो जीवात्मपरमात्मनो।’ अर्थात जीवात्मा व परमात्मा के संयोग की अवस्था का नाम ही योग है।

5. कठोशनिषद् में योग के विषय में कहा गया है-

‘यदा पंचावतिश्ठनते ज्ञानानि मनसा सह। बुद्धिष्च न विचेश्टति तामाहु: परमां गतिम्।। तां योगमिति मन्यन्ते स्थिरामिन्द्रियधारणाम्। अप्रमत्तस्तदा भवति योगो हि प्रभावाप्ययौ।।

अर्थात् जब पाँचों ज्ञानेन्द्रियां मन के साथ स्थिर हो जाती है और मन निश्चल बुद्धि के साथ आ मिलता है, उस अवस्था को ‘परमगति’ कहते है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा ही योग है। जिसकी इन्द्रियाँ स्थिर हो जाती है, अर्थात् प्रमाद हीन हो जाता है। उसमें सुभ संस्कारो की उत्पत्ति और अशुभ संस्कारों का नाश होने लगता है। यही अवस्था योग है।

6. पतंजलि योगसूत्र में योग की परिभाषा – योगष्चित्तवृत्ति निरोध: ।। (पातंजल योग सूत्र, 1/2)

योग, चित्त वृत्तियों का निरुद्ध होना है। अर्थात् योग उस अवस्था विषेश का नाम है, जिसमें चित्त में चल रही सभी वृत्तियां रूक जाती हैं। यदि हम और अधिक जानने का प्रयास करें तो व्यास-भाष्य मे हमें स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि योग समाधि है। इस प्रकार जब चित्त की सम्पूर्ण वृत्तियां विभिन्न अभ्यासों के माध्यम से रोक दी जाती है, तो वह अवस्था समाधि या योग कहलाती है।

अत: सारांश में हम यह कह सकते हैं कि पातंजल योग सूत्र में योग, चित्त की सम्पूर्ण वृत्तियों का निरोध है या चित्त का बिलकुल शान्त हो जाना है जो समाधि की अवस्था भी कहलाती है।

योग के उद्देश्य (Objective of Yoga)

  • मानसिक शक्ति का विकास करना।
  • रचनात्मकता का विकास करना।
  • तनावों से मुक्ति पाना।
  • प्रकृति विरोधी जीवनशैली में सुधार करना।
  • वृहत-दृष्टिकोण का विकास करना।
  • मानसिक शान्ति प्राप्त करना।
  • उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास करना।
  • शारीरिक रोगों से मुक्ति पाना।
  • मदिरापान तथा मादक द्रव्य व्यसन से मुक्ति पाना।
  • मनुष्य का दिव्य रूपान्तरण।

योग के प्रकार (Types of Yoga)

योग के कितने प्रकार हैं, योग कितने प्रकार के होते हैं भारतीय योग शास्त्रियों ने योग को 8 प्रकार का बतलाया है-

1. हठयोग क्या है?

प्राचीन समय में हठयोग में सिद्ध महात्मा घेरण्ड हुए हैं। इन्होंने अपने शिष्य चण्डकपालि को क्रियात्मक रुप से समझाने के लिए घेरण्ड संहिता पुस्तक की रचना की जो आज भी उपलब्ध है। यह हठयोग का एक प्रामाणिक एवं सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें हठयोग के सात अंगों षट्कर्म आसन, मुद्रा, प्रत्याहार, प्राणायाम, ध्यान और समाधि का वर्णन है ।

हठयोग में शारीरिक क्रियाओं का समावेश है शरीर को शट्चक्र भेदन के लिए उपयुक्त करने के लिए गौरक्षनाथ जी ने कई मुद्राओं पर बल दिया है जैसे काकी मुद्रा (जिव्हा को कौऐ की चोंच के समान कर प्राण वायु पान करना) खेचरी मुद्रा (जीभ को जिव्हामूल की ओर पलटकर वायुपान करना) उसके बाद चौरासी आसनों का निष्पन्न करना। मूलबन्ध, उड्डीयान बन्ध जालन्धर बन्ध लगाना आदि ।

2. लययोग क्या है?

योग के आचार्यों ने लय को भी ईश्वर प्राप्ति का एक साधन माना है इसका अर्थ है- ‘‘मन को आत्मा में लय कर देना, लीन कर देना।’’ 

‘‘आनंद त: पष्यन्ति विद्वांसस्तेन लयेन पष्यन्ति।’’ 

‘‘वे विद्वान पुरुष उसे आनन्द (आत्मा) स्वरुप देखते हुए उनमें लय हो जाते हैं और फिर उससे भिन्न उन्हें कुछ भी नहीं दिखाई देता ‘‘ इस प्रकार ज्ञान द्वारा सत्य की खोज करते करते मनुष्य आत्मा तक पहुँच जाता है और वह देखता है कि केवल यह मेरा मन ही नहीं, सभी लोक लोकान्तर उसी में लीन हैं। यह आत्मा ही परमात्मा है दोनों में कोई भेद नहीं, यही लय योग है।

3. राजयोग क्या है?

‘‘राजत्वात् सर्वयोगानां राजयोग इति स्मृत:’’ । 

स्मृतियों  में ऐसा कहा गया है कि सभी योग साधनों में श्रेष्ठ होने के कारण तथा सभी योग प्रक्रियाओं का राजा होने के कारण इसे राजयोग कहा गया है।’’राजयोग का ध्यान ब्रह्म ध्यान, समाधि को निर्विकल्प समाधि तथा राजयोग में सिद्धमहात्मा, जीवनमुक्त कहलाता है राजयोग के सम्बन्ध में सर्वाधिक प्रमाणित ग्रन्थ महर्षि पतंजलि द्वारा रचित योगदर्शन है। ऐसा कहा जाता है कि चित्त की चंचलता को दूर कर, योग एवं सिद्धयोग का अवधारणात्मक पहलू मन को एकाग्र तथा बुद्धि को स्थिर करके जीवात्मा को परमात्मा में विलीन करने की जो साधना है वह स्वयं ब्रह्मा ने वेदों के द्वारा ऋषियों की बताई। 

कुछ योगशास्त्र ने राजयोग को सोलह कलाओं से पूर्ण माना है अर्थात् 16 अंग माने हैं। सात ज्ञान की भूमिकाएं, दो प्रकार की धारणा – प्रकृति धारणा और ब्रह्मधारणा, तीन प्रकार का ध्यान – विराट ध्यान, ईष ध्यान और ब्रह्मध्यान, तथा चार प्रकार की समाधि – दो सविचार और दो निर्विचार अर्थात् वितर्कानुगत, विचारनुगत, आनन्दानुगत और अस्मितानुगत। इस क्रम से साधनाकरता हुआ राजयोगी अपने स्वरूप को प्राप्त करके इसी जीवन में मुक्त हो जाता है ।

4. भक्ति योग क्या है?

निष्काम कर्म अर्थात कर्म करते हुए कर्मफल की आकांक्षा नहीं रखते हैं। भक्ति मार्ग का पालन करने से साधक को ईश्वर की अनुभूतिस्वयं होने लगती है। गीता में कहा है- 

‘‘पत्रं पुष्प फलं तोयंयो में भक्तया प्रयच्छति ‘‘

‘अर्थात पत्र, पुष्प, फल, जल इत्यादि को कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से अर्पण कर देता है उसे मैं अत्यन्त खुशी से स्वीकार करता हूँ।’’

5. ज्ञानयोग क्या है?

संसार में ज्ञान से बढ़कर कुछ भी पवित्र नहीं है।

गीता के अनुसार-’’ नहि ज्ञानेन सदृषंपवित्रमिह विद्यते ’’

दो प्रकार का ज्ञान होते है –

  • तार्किक ज्ञान- तार्किक ज्ञान को विज्ञान कहा जाता है यह वस्तु के आभास में सत्यता के निरुपद के लिए किया जाता है इसमें ज्ञाता और ज्ञेय का ज्ञान रहता है।-
  • आध्यात्मिक ज्ञान -आध्यात्मिक ज्ञान को ‘‘ज्ञान’’ कहा जाता है इसमें ज्ञाता और ज्ञेय का भेद मिट जाता है ऐसा व्यक्ति सब रूपों में ईश्वर देखता है।

6. कर्मयोग क्या है?

यज्ञार्था कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धन:गीता-तक्ष्र्थ कर्म कौन्तेय मुक्तासंग: समाचार:।। 

योग एवं सिद्धयोग का अवधारणात्मक पहलू यह संसार कर्म की श्रृंखला से बंधा हुआ है। स्वंययज्ञ की उत्पति कर्म से होती है खेतों में अन्न कर्म से ही पैदा होता है क्योंकि योगी लोग आत्म शुद्धि के लिए कर्म करते हैं। प्रकृति के गुणों द्वारा विवश होकर हर एक को कर्म करने पड़ते हैं। कर्मों के फल से छुट्टी पाये बिना मुक्ति नहीं।

7. जप योग क्या है?

जप एक दिव्य शक्ति का एक मंत्र या नाम है। स्वामी शिवानंद के अनुसार जप योग एक महत्वपूर्ण अंग है जप इस कलयुग व्यवहार में अकेले शाश्वत शांति परमानंद व अमरता दे सकता है। जप अभ्यस्त हो जाना चाहिये और सात्विक भाव, पवित्रता, प्रेम और श्रद्धा के साथ लिया जाना चाहिये। जप योग से बड़ा कोई योग नहीं है। यह आपको सभी (जो आप चाहते हैं) सत् सिद्धी, भक्ति वमुिक्त प्रदान कर सकता है।

8. अष्टांग योग क्या है?

महर्षि पतंजलि ने पातंजल योग दर्शन, “अथयोग अनुषासनम्ं” शब्द से प्रारम्भ किया है इससे स्पष्ट है कि उन्होंने जीवन के आदर्शों में अनुशासन को कितना महत्व दिया है। पंतजलि योग विकास, आठ क्रमों में होता है इसलिए इसे अष्टांग योग भी कहते हैं । अष्टांग योग के अंतर्गत आठ अंग बताये गये हैं।

  • प्रत्याहार 

उपरोक्त आठ अंगों का अभ्यास करने से पूर्व व्यक्तियों को षट्कर्म करना अतिआवश्यक होता है षट्कर्म निम्न प्रकार से बताये गये हैं –

योग का महत्व (Importance of Yoga)

शारीरक रूप में.

  • शारीरिक स्वच्छता हेतु
  • रोगो से बचाव
  • शरीर को सौंदर्य बनाने हेतु
  • शरीर की सही मुद्रा हेतु
  • मांसपेशियों को विकसित करने के लिए
  • हृदय व फेफडों की कार्यक्षमता बढाने में
  • लचक विकसित में सहायक

सामाजिक रूप में

  • सामाजिक गुणों को विकसित करने में सहायक
  • सामाजिक रिश्ते विकसित करने में

मानसिक रूप में

  • तनाव से मुक्ति
  • तनाव रहित जीवन
  • एकाग्रता बढ़ाने में सहायक
  • याददास्त बढ़ाने में सहायक
  • सहनशक्ति बढ़ाने में सहायक

अध्यात्मिक रूप में

  • अध्यात्मिक गुणों का विकास
  • ध्यान बढ़ाने में सहायक
  • नैतिक गुणों को विकसित करने में सहायक

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योग क्या है? – What is Yoga?

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योग (Yoga) को ध्यान (Meditation) और आध्यात्मिकता (Spirituality) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

यह एक प्राचीन भारतीय प्रथा है, जिसे शारीरिक(Physical), मानसिक(Mental) और आत्मिक स्वास्थ्य(Spiritual Health) को सुधारने के लिए विकसित किया गया था।

योग (Yoga) का मतलब होता है “ एकता ‘(Unity) या ‘ मिलन ‘(union)” और इसका मुख्य उद्देश्य शारीरिक , मानसिक , और आत्मिक संतुलन प्राप्त करना है।

योग (Yoga) के माध्यम से आप अपने जीवन को स्वस्थ (Healthy), शांत (Peaceful) और समृद्ध (Prosperous) कर सकते हैं।

हजारों सालों से योग (Yoga) लोगों की सहायता कर रहा है।

इसलिए, आइए योग के माध्यम से एक स्वस्थ और संतुलित जीवन की ओर कदम बढ़ाएं और जानते है की योग क्या है ?(What is Yoga in Hindi) और यह कितने प्रकार का होता है ?

Page Contents

योग क्या है? – What is Yoga in Hindi ?

what-is-Yoga

योग , एक यूनिक, गहरा, धार्मिक (Religious) तथा दार्शनिक (Philosophical) अनुभव है।

इसका शाब्दिक अर्थ होता है “ मिलना ” या “ एक होना ” अथार्त योग (Yoga) एकता और सामंजस्य (Harmony) की प्रक्रिया है।

इसका का मूल उद्देश्य आत्मा का मार्गदर्शन करना है, ताकि व्यक्ति अपने सच्चे अस्तित्व को समझ सके और जीवन को अधिक शांत , सुखमय और समृद्धि से जी सके।

योग का ऐतिहासिक महत्व – Historical importance of yoga in Hindi

योग (Yoga) का इतिहास विशाल है और वेदो (Vedas) के अनुसार यह भारतीय संस्कृति में हजारों वर्षों के दौरान विकसित हुआ है।

यह प्राचीन ऋषियों द्वारा उपयोग में लिया जाता था और यह ध्यान और आध्यात्मिक अनुशासन को बढ़ावा देता है।

योग (Yoga) के इस प्राचीन विकास के साथ ही यह भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।

आधुनिक युग में योग का महत्व और मान्यता विश्वभर में बढ़ रही है।

योग (Yoga) की प्रैक्टिस शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health) के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) और आध्यात्मिक विकास (Spiritual Development) के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

यह शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ साथ मानसिक तनाव (Mental Stress) को कम करने, मानसिक स्थिरता और आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ावा देने में भी सहायक होता है।

योग हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

यह हमें न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दिशा में भी मदद करता है।

योग की उत्पत्ति – Origin of Yoga

भारत में प्राचीन रूप से – anciently in india :.

प्राचीन काल में योग (Yoga) की उत्पत्ति भारत में हुई थी।

योग धार्मिक (Religious) और आध्यात्मिक (Spiritual) प्रथाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है और भारतीय संस्कृति (Indian Culture) के एक भाग के रूप में विकसित हुआ।

प्राचीन ऋषियों (Ancient Sages) ने योग का प्रैक्टिस किया और इसके महत्व और बेनिफिट्स को खोजने का प्रयास किया।

वे योग (Yoga) को एक उपासना (Worship) और आत्मा (Soul) के साथ जुड़ने का माध्यम मानते थे।

योग का विकास हजारों वर्षों के संवाद (Dialogue) का परिणाम है

इसके महत्व को विभिन्न योगियों और मेडिटेटर्स (Meditators) ने अपने अनुभवों के माध्यम से समझाया है।

योग की यूनिक धारणाएँ (Concepts) और तकनीकें (Techniques) को विभिन्न गुरुओं और परंपराओं में मान्यता मिली हुई है और इसे ध्यान (Meditation), अध्यात्म (Spirituality), और शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

योग का विश्व संस्कृति में के योगदान – Contribution of Yoga to world culture :

भारतीय संस्कृति के अलावा विश्व संस्कृति में भी योग (Yoga) के योगदान को महत्वपूर्ण रूप से पहचाना गया है।

योग (Yoga) ने लोगों को उनके शारीरिक (Physical) और मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) के प्रति जागरूक किया है और संतुलित जीवनशैली जीने की दिशा में मदद की है।

विश्वभर के लोगों, जीवन को सार्थक और आनंदमय बना सके इसके लिए योग की तकनीकें और योगियों के यूनिक अनुभव(Experiences) एक मार्गदर्शन के रूप में कार्य करते हैं।

योग के प्रकार – Types of Yoga in Hindi

योग को विशेष उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रकारों में प्रैक्टिस किया जा सकता है।

मुख्य योग के प्रकार निम्नलिखित हैं : –

1. हठ योग (Hatha Yoga) :

हठ योग में शारीरिक अभ्यास और आसनों का महत्व होता है।

यह योग का एक प्राचीन रूप है, जिसे शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए किया जाता है।

2. भक्ति योग (Bhakti Yoga) :

भक्ति योग में भगवान के प्रति भक्ति का महत्व होता है।

इस प्रकार के योग में व्यक्ति भगवान के साथ एक सामर्थ्य (Strength) और समर्पण (Dedication) की भावना के साथ आत्मा के मोक्ष (Salvation of the soul) की प्राप्ति का प्रयास करता है।

3. कर्म योग (Karma Yoga) :

कर्म योग में कर्म(Karma) का महत्व होता है।

इस प्रकार के योग में व्यक्ति कर्मों को ध्यान (Meditation), सेवा (Service), और समर्पण (Dedication) के साथ करता है।

4. ज्ञान योग ( Gyan Yoga ) :

ज्ञान योग में ज्ञान (Knowledge) और बोध (Understanding) का महत्व होता है।

इस प्रकार के योग में व्यक्ति ज्ञान के माध्यम से अपने आत्मा(Soul) को समझने का प्रयास करता है।

5. राज योग (Raj Yoga) :

राज योग में आध्यात्मिक (Spiritual) अभ्यास और ध्यान (Meditation) का महत्व होता है।

इस प्रकार के योग में व्यक्ति आत्मविकास (Self-development) के लिए मानसिक शांति और आत्मा के साथ जुड़ने का प्रयास करता है।

6. कुण्डलिनी योग (Kundalini Yoga ) :

कुण्डलिनी योग में कुण्डलिनी शक्ति (Kundalini Shakti) को जागृत करने का प्रयास किया जाता है।

7. तंत्र योग ( Tantra Yoga ) :

तंत्र योग में मन्त्र ( Mantra ), मुद्रा ( Mudra ), और तंत्र ( Tantra ) के माध्यम से आत्मा के यूनिक अनुभव को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।

8. प्रीनेटल योग ( Prenatal Yoga ) :

प्रीनेटल योग में गर्भवती महिलाएं (Pregnant Women) अपने शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए विशेष आसनों की प्रैक्टिस करती हैं।

9. पॉवर योग (Power Yoga )

पॉवर योग में शारीरिक (Physical), स्टेबिलिटी (Stability) और शक्ति (Strength) को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। जिससे शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिलती है।

10. आष्टांग योग (Ashtanga Yoga ) :

आष्टांग योग में आठ अंगों ( Eight Limbs ) की प्रैक्टिस की जाती है, जिनमें आसन(Asana) , प्राणायाम (Pranayama), और ध्यान(Meditation) शामिल होते हैं।

इस प्रकार के योग में आत्मा की उन्नति के लिए सार्थक योगिक प्रैक्टिस (Yogic Practice) की जाती है।

11. आयेंगार योग (Iyengar Yoga) :

आयेंगार योग में शारीरिक स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए आसनों को सही तरीके से और सावधानी से करने का महत्व होता है।

12. बिक्रम योग ( Bikram Yoga ) :

इस प्रकार के योग में शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए आसनों को गर्म कमरे में या गर्मी के साथ प्रैक्टिस करने का महत्व होता है।

13. आरामदायक योग (Relaxing Yoga ) :

इस प्रकार के योग में आसनों को सावधानीपूर्वक और आराम से किया जाता है, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

14. योग निद्रा (Yoga Nidra ) :

इस प्रकार के योग में व्यक्ति एक गहरी अवस्था (Deep State) होता है, जिसमें वह जागरूक रहता है, लेकिन शारीरिक और मानसिक , शांति का अनुभव करता है।

योग दर्शन – Yoga philosophy in Hindi

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योग दर्शन (Yoga Philosophy) एक महत्वपूर्ण धार्मिक (Religious) और आध्यात्मिक (Spiritual) दर्शन है, जो व्यक्ति को आत्मा की खोज कर आध्यात्मिक समृद्धि (Spiritual Prosperity) और शांति (Peace) की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

इस दर्शन का विकास भारत में हुआ था और इसका मूल उद्देश्य आत्मा की दिव्यता (Divinity of the Soul) की खोज करना है।

योग के आठ अंग या नियम :-

योग दर्शन में योग को आठ अंगों के रूप में वर्गीकृत(Classified) किया गया है, जिनमें हर एक अंग का अपना महत्व होता है।

यम (विधिः) – Yama (Method) :

यम योग का पहला अंग हैं और इसमें आदेश (Order), सत्य (Truth), अस्तेय (Asceticism), ब्रह्मचर्य (Celibacy), और अपरिग्रह (Aparigraha) की पालना शामिल होती है।

यह धार्मिक और मैरिट आचरण (Meritorious conduct) की ओर मार्गदर्शन करते हैं।

नियम (नियमाः) – Rules (Niyamah) :

नियम योग के दूसरे अंग हैं और इसमें शौच (Cleanliness), संतोष (Contentment), तपस्या (Penance), स्वाध्याय (Self-study), और ईश्वर की आराधना (Worship of God) के नियम शामिल होते है।

ये नियम योगी के आचरण और जीवनशैली को दिशा देते हैं।

आसन (स्थिरसुखमासनम्) – Asanas ( Sthirasukhmasanam ) :

आसन योग के तीसरे अंग होता हैं और इसमें शारीरिक स्टेबिलिटी (Physical Stability) और सुख के साथ ध्यान करने के लिए आवश्यक आसनों की प्रैक्टिस की जाती है।

ये आसन शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं।

प्राणायाम (प्राणायामाः) – Pranayama (Pranayama) :

प्राणायाम योग के चौथे अंग होते हैं और यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने और ध्यान (Meditation) में मदद करता है।

प्रत्याहार (प्रत्याहारः) – Pratyahara (Pratyahara) :

प्रत्याहार योग के पांचवें अंग हैं और इसमें इंद्रियों को अपने अंतरात्मा की ओर मोड़ने की प्रैक्टिस कि जाती है।

यह ध्यान की दिशा में किये गये प्रयासों में महत्वपूर्ण होता है।

धारणा (देशबन्धः) – Dharana (देशबंधः) :

धारणा योग का छठा अंग होता हैं और इसमें मन को एक विशेष विषय (Particular Subject) पर फोकस  करने की  प्रैक्टिस की जाती है।

यह ध्यान प्राप्त करने में मदद करता है।

ध्यान (तद्ध्यानात्) – Meditation (Tadhyanaat) :

यह योग का सातवा अंग हैं और इसमें मन की एकाग्रता पर जोर दिया जाता है।

ध्यान आत्मा के उन्नति के लिए महत्वपूर्ण होता है।

समाधि (समाधिः) – Samadhi (Samadhi) :

समाधि योग के आठवें अंग होता हैं और इसमें पूर्ण ध्यान (Complete Meditation) और आत्मा के साथ एकाकार का प्रयास किया जाता है।

इसमें योगी आत्मा के अद्वितीयता (Uniqueness) को अनुभव करते है और मोक्ष (Salvation) प्राप्त करते है।

यम और नियम – Yama and Niyama :

यम और नियम योग दर्शन (Yoga Philosophy) का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं, जो योगी के आचरण (Conduct) और जीवनशैली (Lifestyle) का मार्गदर्शन करता हैं।

यह योगी के व्यवहार को नेचुरल और सोचने के तरीके को धार्मिक बनाते हैं।

धर्म का अवबोध – Understanding of religion :

धर्म योग का महत्वपूर्ण अंग है। धर्म का अवबोध योगी को उसके आचरण में नैतिकता (Morality), ईमानदारी (Honesty), और समर्पण (Dedication) की ओर प्रेरित  करता है।

योगी (Yogi) का उद्देश्य अपने धर्म का पालन करते हुए आत्मा के साथ एकाकार करना होता है।

योग के शारीरिक लाभ – Physical Benefits of Yoga in Hindi

योग करने से कई सारे फायदे होते हैं। ये है :-

लचीलापन में सुधार – Improve Flexibility :

योग के प्रैक्टिस से शारीरिक लचीलापन (Physical Flexibility) में सुधार होता है।

योग आसनों की प्रैक्टिस करने से आपकी मांसपेशियों , कंधों , और जोड़ों में लचीलाता बढ़ता है।

यह लचीलापन दिनचर्या (Routine) को आसान बनाता है और चोटों (Injuries) की संभावना को कम करता है।

बल या शक्ति में वृद्धि – Increase in Force or Power :

योग के आसनों की प्रैक्टिस करने से मांसपेशिया मजबूत होती है जो शारीरिक शक्ति (Physical Strength) को बढ़ाती हैं। इससे आपके शारीरिक कामकाज में सुधार होता है।

बेहतर पोस्चर – Better posture :

योग आसनों की प्रैक्टिस से आपकी शारीरिक संरचना (Physical Structure) में सुधार होता  है, जिससे आपका पोस्चर (Posture) बेहतर होता है।

सही पोस्चर (Posture) में चलने और बैठने से आपके पूरे शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health) को फायदा होता है और बैक पेन (Back Pain) जैसी समस्याओं को रोका जा सकता है।

दर्द में आराम – Relief from Pain :

योग आसनों की प्रैक्टिस करने से शारीरिक दर्द (Physical Pain) में आराम मिलता है।

आसनों की प्रैक्टिस से मांसपेशियों से संबंधित समस्याओं या दर्द का इलाज किया जा सकता है।

वजन प्रबंधन – Weight Management :

योग वजन प्रबंधन में भी मदद करता है।

योग के आसनों की प्रैक्टिस करने से आपका मेटाबोलिज्म बेहतर होता है और कैलोरी जलाने में मदद मिलती है। इसकी सहायता से वजन कम किया जा सकता है।

इन फायदों के साथ योग(Yoga) शारीरिक स्वास्थ्य(Physical Health) को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रभावी तरीका होता है।

योग के मानसिक और भावनात्मक लाभ – Mental and emotional Benefits of Yoga in Hindi

योग की प्रैक्टिस मानसिक (Mental) और भावनात्मक (Emotional) स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह निम्न प्रकार से है :-

तनाव कमी – Stress Reduction :

योग (Yoga) की आसनों और प्राणायाम की मदद से मानसिक चिंताओं को दूर किया जा सकता है और जिससे मानसिक स्थिति में सुधार होता है जो तनाव को कम करता है।

एकाग्रता में बढ़ोतरी – Increase in Concentration :

योग के माध्यम से आप एकाग्रता (Concentration) में बढ़ोतरी कर सकते हैं।

योग ( Yoga ) में ध्यान (Meditation) की प्रैक्टिस करने से आपकी मानसिक अवस्था को शांति (Peace) और स्थिरता (Stability) मिलती है।

यह आपके विचारों को शांत रख कर एकाग्रता को बढ़ाता है। ध्यान से आपका जीवन संतुलित और सुखमय बनता है।

भावनात्मक स्थिरता – Emotional Stability :

योग(Yoga) जीवन में भावनात्मक स्थिरता (Emotional Stability) प्रदान करता है, जिससे सकारात्मक भावनाओं (Positive Emotions ) को बढ़ावा मिलता है

मानसिक-शारीरिक जड़न – Mental-Physical Connection :

योग(Yoga) में आसनों की प्रैक्टिस करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (Physical and Mental Health) में एक साथ सुधार होता है।

जिससे आपके शारीरिक कामकाज (Physical Functioning) में बढ़ोतरी होती है।

योग के प्रैक्टिस से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच में एक सबंध बनता है, जो जीवन को अधिक संतुलित और खुशहाल बनाता है।

इन मानसिक और भावनात्मक लाभों के साथ योग(Yoga) आपको अपने जीवन को स्वस्थ (Healthy), सकारात्मक (Positive), और खुशहाल (Happy) बनाने में मदद करता है।

योग के आध्यात्मिक पहलू – Spiritual Aspects of Yoga

what-is-Yoga

योग एक आध्यात्मिक (Spiritual) प्रयास का भी हिस्सा होता है, जिससे आप अपने आंतरिक स्वरूप (Inner Self) की खोज कर दिव्य (Divine) के साथ जुड़ सकते हैं। यह है :-

दिव्य से जुड़ना – Connecting With the Divine

योग आपको दिव्य शक्तियों (Divine Powers) से जोड़ता है।

योगी, योग(Yoga) के माध्यम से अपनी आंतरिक दिव्यता को अनुभव करते हुए, आत्मा के साथ एकाकार करते हैं।

दिव्य शक्तियों (Divine Powers) के साथ जुड़ने की अनुभूति करना योगी (Yogi) के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

आंतरिक शांति – Inner Peace :

योग से आप आंतरिक शांति (Inner Peace) की प्राप्ति कर सकते हैं।

इसमें ध्यान या मेडिटेशन के अभ्यास से आप अपने मन को शांत कर मानसिक चिंताओं को दूर कर सकते हैं।

यह आपको आंतरिक शांति की अनुभूति कराता है और आपके जीवन को सुखमय बनाता है।

प्रबोधन की खोज – Search for Enlightenment :

योग(Yoga) के माध्यम से आप प्रबोधन (Enlightenment) की खोज कर सकते हैं।

योगी (Yogi) अपने प्रैक्टिस के माध्यम से अपनी आंतरिक ज्ञान (Inner wisdom) को जागरूक करके अपने जीवन के महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर ढूंढ़ते हैं।

योग से मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है, जो जीवन का मार्गदर्शन करती है।

दैनिक जीवन में योग – Yoga in Daily Life

what-is-Yoga

योग एक ऐसा यूनिक प्रक्रिया है जो हमें आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य में मदद करता है और हमारे दैनिक जीवन को बेहतर बनाता है। इसमें शामिल है :-

दैनिक जीवन – Daily Life

योग(Yoga) को दैनिक जीवन में शामिल करना बहुत महत्वपूर्ण है।

योग के आसन और प्राणायाम को नियमित रूप से करने से आप अपने शारीरिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं, तनाव को कम कर सकते हैं, और मानसिक चिंताओं को दूर कर सकते हैं।

इस को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने के लिए एक फिक्स्ड समय चुनें और इसे नियमित बनाएं।

योग और आहार – Yoga and Diet

आपके आहार(Diet) का भी योग के साथ महत्वपूर्ण संबंध है।

योग(Yoga) के दौरान स्वस्थ आहार(Healthy Diet) का पालन करना आपके शारीरिक स्वास्थ्य को और भी बेहतर बनाता है।

आपको हर दिन पूरी तरह से पोषणपूर्ण आहार (Nutritious Diet) लेने का प्रयास करना चाहिए।

योग और रिश्तों का महत्व – Importance of Yoga and Relationships

योग(Yoga) आपके रिश्तों को मजबूत करता है।

इसके माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य(Mental Health) में सुधार होता हैं, जिससे रिश्तों में समझदारी (Understanding), सहमति (Consent) और समर्थन (Support) बढ़ता है।

संतुलित जीवनशैली के लिए योग – Yoga for Balanced Lifestyle

योग(Yoga) से दिनचर्या और जीवनशैली संतुलित होती है।

यह आपको कामकाज(Functioning) में प्रभावी बनाता है और समय के साथ स्थिरता(Stability) प्रदान करता है।

इन तरीकों से, योग(Yoga) आपके दैनिक जीवन को बेहतर और स्वस्थ बनाने में मदद करता है।

योग को एक संयमित और नियमित अभ्यास के रूप में अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आप शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (Physical and Mental Health) में सुधार देख सकते हैं।

योग आसन (पोज़) – Yoga Asanas

आसन (पोज़) योग(Yoga) का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके के तीन प्रमुख स्तर होते हैं : –

1.  मूल योग आसन – Basic Yoga Asanas

इन्हे आसानी से सीख सकते हैं और जो आपके शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं।

इनमें से कुछ उदाहरण हैं: ताड़ासन (Tadasana), वीरभद्रासन (Veerbhadrasana) और शवासन (Shavasana)।

2. मध्यस्थ योग आसन – Intermediate Yoga Asana

मध्यस्थ योग (Intermediate Yoga) आसन वे होते हैं, जिन्हे गुणवत्ता और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किए जाते हैं।

इनमें से कुछ उदाहरण हैं: उत्तानासन (Uttanasana), अर्धचक्रासन (Ardhachakrasana) और भुजंगासन (Bhujangasana)।

3. एडवांस योग आसन – Advanced Yoga Asanas

एडवांस योग आसन वे होते हैं जो अधिक कठिन होते हैं।

इनमें से कुछ उदाहरण हैं: पिन्चमयूरासन (Pinchamayurasana), शीर्षासन (Shirshasana) और नवासन (Navasana)।

योग सामग्री और सहायक उपकरण – Yoga Materials & Accessories

योग आसनों को सही तरीके से करने में योग सामग्री और सहायक उपकरण (Accessories) का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये है :-

चट्टानें और ब्लॉक्स – Rocks and Blocks

यह योग करने में उपयोगी होते हैं।

चट्टानें आसनों के दौरान स्थिरता (Stability) और बल (Strength) देता हैं, जबकि ब्लॉक्स आसनों को सरल बनाने में मदद करते हैं। 

बेल्ट और बोलस्टर्स – Belts and Bolsters

बेल्ट और बोलस्टर्स भी योग प्रैक्टिस में उपयोगी होते हैं।

बोलस्टर्स आसनों को स्थिरता देने और आरामदायक बनाने में मदद करते हैं।

बेल्ट आसनों को अधिक से अधिक खींचने में मदद करते हैं।

योग सामग्री और सहायक उपकरण (Accessories) योग(Yoga) करने को आरामदायक और प्रभावी बनाने में मदद करते हैं।

विशेष आवश्यकताओं के लिए योग – Yoga for Special Purpose

योग(Yoga) को विभिन्न विशेष आवश्यकताओं के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। कुछ निम्नलिखित है : –

1. तनाव से राहत के लिए योग – Yoga for Stress Relief

तनाव हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है और यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

योग , ध्यान और आसनों के माध्यम से तनाव को दूर करने में मदद करता है और मानसिक शांति दिलाता है।

2. वजन कमी के लिए योग – Yoga for Weight Loss

वजन को कम करने के लिए योग(Yoga) एक महत्वपूर्ण साधना होता है।

विशेष रूप से हठ योग (Hatha Yoga) और पॉवर योग (Power Yoga) वजन कम करने में मदद करता हैं।

3. पीठ दर्द के लिए योग – Yoga for Back Pain

पीठ दर्द आम समस्या होती है और योग(Yoga) द्वारा इससे राहत पा सकते हैं।

विशेष रूप से पीठ दर्द को दूर करने के लिए योग आसन जैसे कि भुजंगासन (Bhujangasana), मर्जरी आसन (Marjari Asana) और कटि चक्रासन (Kati Chakrasana) मदद कर सकते हैं।

4. गर्भावस्था के लिए योग – Yoga for Pregnancy

गर्भावस्था में भी योग का उपयोग किया जा सकता है।

योग(Yoga) गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे के स्वास्थ रहने में मदद करता है।

सुश्रीणासन (Sushrinasana), ताड़ासन (Tadasana), और वृक्षासन (Vrikshasana) जैसे आसन प्रेग्नेंसी के दौरान किए जा सकते हैं।

5. वृद्ध वयस्कों के लिए योग – Yoga for Older Adults

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए वृद्ध वयस्कों के लिए योग(Yoga) महत्वपूर्ण होता है।

योग आसन (Yoga Asanas) और प्राणायाम (Pranayam) इनको स्वस्थ रहने में मदद करते हैं और शारीरिक कठिनाइयों को कम करते हैं।

सावधानी और ध्यान से किया गया योग तंदुरुस्त और खुश जीवन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

पॉपुलर संस्कृति में योग – Yoga in Popular Culture

योग ने पॉपुलर संस्कृति (Popular Culture) में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है।

यह न केवल एक स्वास्थ्य एक्सरसाइज है, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है।

योग प्रमुख व्यक्तित्व – Yoga Prominent Personality

पॉपुलर संस्कृति में अनेक व्यक्तित्वों के द्वारा योग(Yoga) को प्रमोट किया गया है।

प्रमुख व्यक्तित्व जैसे कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) ने योग को अपनी जीवनशैली में शामिल किया और उसे प्रचारित किया।

इन्होंने योग के माध्यम से सशक्त (Strong) और स्वस्थ जीवन (Healthy Life) के मूल्यों (Values) को स्थापित किया।

फ़िल्मों और टेलीविजन में योग – Yoga in Films and Television

योग बॉलीवुड और टेलीविजन के शोज़ में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

व्यक्तिगत विकास और स्वास्थ्य के लिए अनेक फ़िल्मों में योग(Yoga) को महत्व दिया गया है।

कई बड़े स्टार्स ने योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाया है, जिससे योग का प्रचार और पॉपुलरिटी बढ़ी है।

योग के रूप में एक प्रचलन – Yoga as a Trend

पॉपुलर संस्कृति में योग(Yoga) एक ट्रेंड बन चुका है और यह बीते दशकों से धीरे-धीरे लोगों के जीवन में शामिल हो रहा है।

योग करने के लिए स्टूडियोज़(Studios) और गुरुओं(Gurus) की बढ़ती संख्या ने इसकी पॉपुलरिटी को ओर बढ़ाया है।

विज्ञान और योग – Yoga and Science

योग और विज्ञान अलग अलग होते हैं, लेकिन इन दोनों के बीच में एक महत्वपूर्ण संबंध है। यह है : –

योग पर वैज्ञानिक अध्ययन – Scientific Study on Yoga :

वैज्ञानिक अध्ययन ने दिखाया है कि योग करने से शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, और तंदुरुस्ती(well-being) में सुधार होता है।

स्वास्थ्य सेवा में योग – Yoga in Healthcare :

आजकल योग स्वास्थ्य सेवा का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।

योग(Yoga) के आसन , प्राणायाम और ध्यान के तरीकों का उपयोग कर के स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज किया जाता है और लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर योग का प्रभाव – Effect of Yoga on Mental Health :

योग का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

योग करने से तनाव कम होता है, ध्यान की भावना में वृद्धि होती है और आत्म-जागरूकता (Self-Awareness) बढ़ती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

इस प्रकार, योग और विज्ञान( Yoga and Science ) अलग अलग होते हुए भी एक है।

योग का वैश्विक फैलाव – Global Spread of Yoga

योग ने वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त की है। इसका वैश्विक फैलाव निम्नलिखित तरीकों से हो रहा है : –

महाद्वीपों के बदलते योग – Changing Combinations of Continents :

विभिन्न महाद्वीपों में योग ने खास रूपों के साथ समाज में अपने प्रभाव को बढ़ाया है।

योग की विभिन्न प्रकृतियां (Natures) और शैलियां (Styles), विभिन्न संस्कृतियों (Cultures) में समाहित हो गई हैं और इस तरह से यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शारीरिक विरासत का हिस्सा बन गया है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस – International Yoga Day

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है, जो योग के महत्व को बढ़ावा देने का एक यूनिक अवसर प्रदान करता है।

योग दिवस का आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) और अन्य संगठनों (Organizations) द्वारा किया जाता है और लाखों लोग इसमें पार्टिसिपेट करते हैं।

सांस्कृतिक अनुकूलन – Cultural Adaptation

योग ने विभिन्न सांस्कृतिक अनुकूलन (Cross-Cultural Adaptation) को बढ़ावा दिया है और लोगों को विश्व की विविधता (Diversity) को समझने के लिए प्रोत्साहित किया है।

योग(Yoga) के कारन लोग सांस्कृतिक , धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समझते हैं और इसे समृद्धि का हिस्सा मानते हैं।

इस तरह से योग का वैश्विक फैलाव हर क्षेत्र में हो रहा है और यह सांस्कृतिक , जीवनशैली और स्वास्थ्य के कई पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

एक बेहतर दुनिया के लिए योग – Yoga for a Better World

दुनिया को बेहतर बनाने के लिए योग एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली उपकरण हो सकता है। इस का योगदान निम्न तरीकों से हो सकता है : –

विश्व शांति में योग का योगदान – Contribution of Yoga to World Peace

योग का एक महत्वपूर्ण योगदान विश्व शांति (World Peace) में हो सकता है।

योग के माध्यम से लोग अपने क्रोध (Anger), आतंक (Terror), और घृणा (Hatred) को कम कर सकते हैं जिससे समाज में शांति बन सकती हैं।

सामाजिक परिवर्तन के लिए योग – Yoga for Social Change :

सामाजिक परिवर्तन के लिए योग(Yoga) एक महत्वपूर्ण और प्रभावी उपकरण हो सकता है।

योग के माध्यम से, लोग अपने स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विकास को सुधार सकते हैं, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन (Positive Change) आ सकता है। 

योग के माध्यम से पर्यावरण अवेयरनेस – Environmental Awareness through Yoga

पर्यावरण अवेयरनेस को योग के माध्यम से बढ़ावा दिया जा सकता है।

योग(Yoga) करने से लोग अपने आत्मा और प्राकृतिक पर्यावरण के साथ में मिलते हैं। इससे उन्हें पर्यावरण के महत्व का अहसास होता है और वे प्राकृतिक संसाधनों (Natural Resources) के प्रति  सचेत (Conscious) रहते हैं।

इस तरह, योग करने वाले लोग समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और एक बेहतर दुनिया के निर्माण में मदद कर सकते हैं।

योग के बारे में सामान्य ग़लतफ़हमियाँ – Common Misconceptions about Yoga

योग के बारे में कई सामान्य ग़लतफ़हमियाँ होती हैं, जिन्हें स्पष्ट करना आवश्यक है।

ग़लत धारणाओं का खंडन – Refutation of Misconceptions :

  • योग सिर्फ फिजिकल एक्सरसाइज है :- योग(Yoga) को केवल फिजिकल एक्सरसाइज की तरह देखना एक ग़लतफ़हमी है। योग एक पूर्ण आध्यात्मिक (Spiritual), मानसिक (Mental), और शारीरिक (Physical) प्रैक्टिस है।
  • यह केवल लाइट (Light) और लेनियंट (Lenient) लोगों के लिए हैं : – योग को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सभी लोग कर सकते हैं, चाहे उनकी शारीरिक क्षमता कितनी भी हो।
  • योग सिर्फ धार्मिकता(Religion) से जुड़ा है : – योग एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण (Spiritual Approach) रखता है। इसे केवल धार्मिक के रूप में नहीं देखना चाहिए।

स्टीरियोटाइप्स का समाधान – Resolving stereotypes :

  • सभी योगी और योगिनी साधु जैसे होते हैं : – योग करने वाले लोग विभिन्न जीवनस्तरों और पेशेवर गतिविधियों में हो सकते हैं। 
  • योग केवल तंत्रिक और आसनों का पार्ट है :- योग(Yoga) केवल आसनों का पार्ट नहीं है, बल्कि इसमें प्राणायाम (Pranayam), मेडिटेशन (Meditation) और धारणा (Dharana) जैसे अन्य अंग भी शामिल होते हैं।
  • योग सिर्फ योगशाला (Yogashala) में किया जा सकता है : – योग को केवल योगशाला (Yogashala) में  करने की आवश्यकता नहीं होती। इसे कही भी किया जा सकता है।

इस प्रकार योग के बारे में सामान्य ग़लतफ़हमियाँ दूर करने से लोग सही दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

योग(Yoga) एक आध्यात्मिक प्रैक्टिस (Spiritual practice) है, जो व्यक्ति को अपने आंतरिक आत्मा से जोड़ने का काम करता है। यह आत्मज्ञान (Enlightenment) और आत्मा के प्रति जागरूकता (Awareness) को बढ़ावा देता है।

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग(Yoga) बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह शरीर में लचीलापन , बल में वृद्धि , बेहतर पोस्चर , दर्द में आराम और वजन मैनेज करने में मदद करता है।

योग मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, तनाव को कम करने और ध्यान बढ़ाने में मदद करता है।

योग व्यक्ति को आत्मा के प्रति जागरूक बनाता है और उसे आत्मज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है जिससे आंतरिक शांति प्राप्त होती है।

इन कारणों से योग एक शक्तिशाली और पूर्ण प्रैक्टिस है, जो व्यक्ति को अपने जीवन के सभी पहलुओं में मदद करता है और उसे आत्मा के साथ मिलाता है।

इस लेख के माध्यम से, हमने योग के बारे में एक व्यापक जानकारी प्रदान की है, जिसमें योग के इतिहास, विभिन्न प्रकार लाभ और इसका समाज में प्रयोग करने के तरीके की चर्चा की गई है।

हम आशा करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा और योग(Yoga) के महत्व को समझने में मदद मिली होगी। अच्छा लगा है तो आप निचे कमेंट कर के बता सकते है।

People Also Ask

योग एक आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक एक्सरसाइज है, जिसका मुख्य उद्देश्य आत्मा के साथ जुड़कर शांति, स्वास्थ्य, और आत्मज्ञान प्राप्त करना है।

योग कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि हठ योग , भक्ति योग , कर्म योग , ज्ञान योग , राज योग , तंत्र योग , आष्टांग योग , आयेंगार योग , और बिक्रम योग , आदि।

हठ योग और आसन अलग-अलग हैं। हठ योग एक पूर्ण प्रैक्टिस होती है जिसमें आसन केवल एक पार्ट होता है।

 नहीं, योग को कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वो धार्मिक हो या न हो। योग एक आध्यात्मिक और व्यक्तिगत प्रैक्टिस है, जो सभी के लिए लाभकारी होता है।

शारीरिक स्वास्थ्य होना योग(Yoga) करने के लिए आवश्यक नहीं है, लेकिन योग के प्रैक्टिस से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

हां, योग वजन प्रबंधन के लिए मददकारी होता है। योग आसन और प्राणायाम के माध्यम से वजन को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है और वजन घटाने में सहायक हो सकता है।

हां, योग तनाव को कम करने में मदद करता है। योग के माध्यम से ध्यान और प्राणायाम करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव कम होता है।

योग(Yoga) को आप अपने समय और आवश्यकताओं के हिसाब से कर सकते हैं। रोज़ाना करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन नियमित प्रैक्टिस से अधिक लाभ होता है।

गुरु की मार्गदर्शन में योग(Yoga) सीखना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन आप इसे स्वयं भी सिख सकते हैं।

हां, प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ योग(Yoga) आसन सुरक्षित होते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह पर इसे करना सबसे अच्छा होता है।

हां, योग(Yoga) बच्चों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। योग के आसन बच्चों की शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं और उनके तनाव को कम करते हैं।

नहीं, योग(Yoga) को सीखने के लिए खास धार्मिक या धार्मिक धारणाओं की आवश्यकता नहीं होती। योग एक सामान्य मानव जीवन का हिस्सा होता है, जो सभी के लिए उपयुक्त है।

हां, योग(Yoga) डिप्रेशन और एंग्जायटी को कम करने में मदद करता है।

हां, योग(Yoga) करने से स्वस्थ्य जीवनशैली की दिशा में सुधार हो सकता है। योग आपको संतुलित आहार , नियमित व्यायाम , और तनाव मुक्त जीवन की दिशा में मदद करता है।

हां, योग(Yoga) बुढ़ापे में भी किया जा सकता है और वृद्ध वयस्कों के लिए फायदेमंद होता है।

हां, योग(Yoga) करने से कई शारीरिक कठिनाइयाँ दूर हो सकती हैं, जैसे कि पीठ दर्द , सिरदर्द , और मांसपेशियों की कमजोरी।

हां, योग(Yoga) करने से आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते है। यह आपके मानसिक स्वास्थ्य , जीवनशैली और व्यक्तिगत विकास में मदद करता है।

हां, योग(Yoga) करने से आपके दिमाग की क्षमता में सुधार हो सकता है। ध्यान और मानसिक स्थिरता के माध्यम से योग आपके मानसिक क्षमता को बढ़ावा देता है।

हां, योग(Yoga) के अभ्यास से आप अपने आत्मा के प्रति जागरूक हो सकते हैं और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। यह आपको अपने आंतरिक ज्ञान की खोज में मदद करता है।

हां, योग के अभ्यास से व्यक्ति की गुणवत्ता और उत्कृष्टता में सुधार होती है। योग आपके जीवन के हर क्षेत्र में सुधार कर सकता है।

हां, योग(Yoga) और ध्यान को साथ में किया जा सकता है। योग आपको शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है, जबकि ध्यान आपके मानसिक शांति और आंतरिक ज्ञान को बढ़ावा देता है।

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योग विस्मरण में दफन एक प्राचीन मिथक नहीं है। यह वर्तमान की सबसे बहुमूल्य विरासत है। यह आज की आवश्यकता है और कल की संस्कृति है - स्वामी सत्यानंद सरस्वती

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योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इस लिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुड़ना। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। यह योग या एकता आसन, प्राणायाम , मुद्रा , बँध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है। तो योग जीने का एक तरीका भी है और अपने आप में परम उद्देश्य भी।

योग सबसे पहले लाभ पहुँचाता है बाहरी शरीर (फिज़िकल बॉडी) को, जो ज्यादातर लोगों के लिए एक व्यावहारिक और परिचित शुरुआती जगह है। जब इस स्तर पर असंतुलन का अनुभव होता है, तो अंग, मांसपेशियां और नसें सद्भाव में काम नहीं करते हैं, बल्कि वे एक-दूसरे के विरोध में कार्य करते हैं।

बाहरी शरीर (फिज़िकल बॉडी) के बाद योग मानसिक और भावनात्मक स्तरों पर काम करता है। रोज़मर्रा की जिंदगी के तनाव और बातचीत के परिणामस्वरूप बहुत से लोग अनेक मानसिक परेशानियों से पीड़ित रहते हैं। योग इनका इलाज शायद तुरंत नहीं प्रदान करता लेकिन इनसे मुकाबला करने के लिए यह सिद्ध विधि है।

(और पढ़ें -  तनाव दूर करने के लिए योग )

पिछली सदी में, हठ योग (जो की योग का सिर्फ़ एक प्रकार है) बहुत प्रसिद्ध और प्रचलित हो गया था। लेकिन योग के सही मतलब और संपूर्ण ज्ञान के बारे में जागरूकता अब लगातार बढ़ रही है।

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शारीरिक और मानसिक उपचार योग के सबसे अधिक ज्ञात लाभों में से एक है। यह इतना शक्तिशाली और प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह सद्भाव और एकीकरण के सिद्धांतों पर काम करता है।

योग अस्थमा , मधुमेह , रक्तचाप , गठिया , पाचन विकार और अन्य बीमारियों में चिकित्सा के एक सफल विकल्प है, ख़ास तौर से वहाँ जहाँ आधुनिक विज्ञान आजतक उपचार देने में सफल नहीं हुआ है। एचआईवी (HIV) पर योग के प्रभावों पर अनुसंधान वर्तमान में आशाजनक परिणामों के साथ चल रहा है। चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार, योग चिकित्सा तंत्रिका और अंतःस्रावी तंत्र में बनाए गए संतुलन के कारण सफल होती है जो शरीर के अन्य सभी प्रणालियों और अंगों को सीधे प्रभावित करती है। 

(और पढ़ें - एड्स का आयुर्वेदिक इलाज )

अधिकांश लोगों के लिए, हालांकि, योग केवल तनावपूर्ण समाज में स्वास्थ्य बनाए रखने का मुख्य साधन हैं। योग बुरी आदतों के प्रभावों को उलट देता है, जैसे कि सारे दिन कुर्सी पर बैठे रहना, मोबाइल फोन को ज़्यादा इस्तेमाल करना, व्यायाम ना करना, ग़लत ख़ान-पान रखना इत्यादि।

इनके अलावा योग के कई आध्यात्मिक लाभ भी हैं। इनका विवरण करना आसान नहीं है, क्योंकि यह आपको स्वयं योग अभ्यास करके हासिल और फिर महसूस करने पड़ेंगे। हर व्यक्ति को योग अलग रूप से लाभ पहुँचाता है। तो योग को अवश्य अपनायें और अपनी मानसिक, भौतिक, आत्मिक और अध्यात्मिक सेहत में सुधार लायें।

अगर आप यह कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य योग अभ्यास का पूरा लाभ पाएँगे:

  • किसी गुरु के निर्देशन में योग अभ्यास शुरू करें।
  • सूर्योदय या सूर्यास्त के वक़्त योग का सही समय है।
  • योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
  • योग खाली पेट करें। योग करने से 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
  • आरामदायक सूती कपड़े पहनें।
  • तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए - योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
  • किसी शांत वातावरण और सॉफ जगह में योग अभ्यास करें।
  • अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
  • योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
  • अपने शरीर के साथ ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें।
  • धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
  • निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
  • योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
  • प्राणायाम हमेशा आसन अभ्यास करने के बाद करें।
  • अगर कोई मेडिकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें।
  • अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें।
  • योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें।

योग के 4 प्रमुख प्रकार या योग के चार रास्ते हैं:

  • राज योग: राज का अर्थ शाही है और योग की इस शाखा का सबसे अधिक महत्वपूर्ण अंग है ध्यान। इस योग के आठ अंग है, जिस कारण से पतंजलि ने इसका नाम रखा था अष्टांग योग। इसे योग सूत्र में पतंजलि ने उल्लिखित किया है। यह 8 अंग इस प्रकार है: यम (शपथ लेना), नियम (आचरण का नियम या आत्म-अनुशासन), आसन, प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण), धारण (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन), और समाधि (परमानंद या अंतिम मुक्ति)। राज योग आत्मविवेक और ध्यान करने के लिए तैयार व्यक्तियों को आकर्षित करता है। आसन राज योग का सबसे प्रसिद्ध अंग है, यहाँ तक कि अधिकतर लोगों के लिए योग का अर्थ ही है आसन। किंतु आसन एक प्रकार के योग का सिर्फ़ एक हिस्सा है। योग आसन अभ्यास से कहीं ज़्यादा है। (और पढ़ें - अमेरिकन योग ट्रेनर द्वारा अष्टांग योग का अभ्यास )   
  • कर्म योग: अगली शाखा कर्म योग या सेवा का मार्ग है और हम में से कोई भी इस मार्ग से नहीं बच सकता है। कर्म योग का सिद्धांत यह है कि जो आज हम अनुभव करते हैं वह हमारे कार्यों द्वारा अतीत में बनाया गया है। इस बारे में जागरूक होने से हम वर्तमान को अच्छा भविष्य बनाने का एक रास्ता बना सकते हैं, जो हमें नकारात्मकता और स्वार्थ से बाध्य होने से मुक्त करता है। कर्म आत्म-आरोही कार्रवाई का मार्ग है। जब भी हम अपना काम करते हैं और अपना जीवन निस्वार्थ रूप में जीते हैं और दूसरों की सेवा करते हैं, हम कर्म योग करते हैं।   
  • भक्ति योग: भक्ति योग भक्ति के मार्ग का वर्णन करता है। सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर, भक्ति योग भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है। भक्ति का मार्ग हमें सभी के लिए स्वीकार्यता और सहिष्णुता पैदा करने का अवसर प्रदान करता है।   
  • ज्ञान योग: अगर हम भक्ति को मन का योग मानते हैं, तो ज्ञान योग बुद्धि का योग है, ऋषि या विद्वान का मार्ग है। इस पथ पर चलने के लिए योग के ग्रंथों और ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है। ज्ञान योग को सबसे कठिन माना जाता है और साथ ही साथ सबसे प्रत्यक्ष। इसमें गंभीर अध्ययन करना होता है और उन लोगों को आकर्षित करता है जो बौद्धिक रूप से इच्छुक हैं। (और पढ़ें -  कमजोर याददाश्त के लिए योग )

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सुबह सूर्योदय से पहले एक से दो घंटे योग के लिए सबसे अच्छा समय है। अगर सुबह आपके लिए मुमकिन ना हो तो सूर्यास्त के समय भी कर सकते हैं। इसके अलावा इन बातों का भी ख़ास ध्यान रखें:

  • अगर दिन का कोई समय योग के लिए निर्धारित कर लें, तो यह उत्तम होगा।
  • सब आसन किसी योगा मैट या दरी बिछा कर ही करें।
  • आप योग किसी खुली जगह जैसे पार्क में कर सकते हैं, या घर पर भी। बस इतना ध्यान रहे की जगह ऐसी हो जहाँ आप खुल कल साँस ले सकें।

(और पढ़ें -  सुबह जल्दी उठने के फायदे )

योग आसन हमेशा मन को शांतिपूर्ण अवस्था में रख कर किए जाने चाहिए। शांति और स्थिरता के विचार के साथ अपने मन को भरें और अपने विचारों को बाहारी दुनिया से दूर कर स्वयं पर केंद्रित करें। सुनिश्चित कर लें कि आप इतने थके ना हों कि आसन पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हों अगर थकान ज़्यादा हो तो केवल रिलैक्स करने वाले आसन ही करें।

आप जो आसन कर रहे हैं, उस पर गहरा ध्यान लगायें। शरीर के जिस अंग पर उस आसन का सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ता है, उस पर अपनी एकाग्रता केंद्रित करें। ऐसा करने से आपको आसान का आशिकतम लाभ मिलेगा। आसन करते समय, श्वास बहुत महत्वपूर्ण होता है। आसन के लिए जो सही श्वास करने का तरीका है वैसा ही करें (कब श्वास अंदर लेना है और बाहर छोड़ना है)। अगर आपको इसका ग्यात ना हो तो जो सामान्य लयबद्ध श्वास रखें।

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अगर आप योगाभ्यास जीवन में पहली बार शुरू कर रहे हैं या योग से ज़्यादा परिचित नहीं हैं, तो इन बातों का ख़ास ध्यान रखें:

  • अपने योगाभ्यास को धैर्य और दृढ़ता के साथ करें। अगर आपके शरीर में लचीलापन कम है तो आपको शुरुआत में अधिकतर आसन करने में कठिनाई हो सकती है। अगर आप पहले-पहले आसन ठीक से नहीं कर पा रहे हों तो चिंता ना करें। सभी आसान दोहराव के साथ आसान हो जाएँगे। जिन मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव कम है, वह सब धीरे-धीरे लचीले हो जाएँगे।
  • अपने शरीर के साथ जल्दबाज़ी या ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें।
  • शुरुआत में आप सिर्फ़ वही आसन कर सकते हैं जो आप आसानी से कर पायें। बस इतना ध्यान रखिए की आपकी श्वास लयबद्ध हो।
  • शुरुआत में हमेशा दो आसन के बीच कुछ सेकंड के लिए आराम करें। दो आसन के बीच में विश्राम की अवधि अपनी शारीरिक ज़रूरत के हिसाब से तय कर लें। समय के साथ यह अवधि कम कर लें।
  • ज़्यादातर ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए। किंतु आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार यह अनुमान लगा सकती हैं कि आपको मासिक धर्म के दौरान योगाभ्यास सूट करता है कि नहीं।
  • गर्भावस्था के दौरान योग किसी गुरु की देखरेख में करें तो बेहतर होगा।
  • 10 वर्ष की आयू से कम के बच्चों को ज़्यादा मुश्किल आसन ना करायें। किसी गुरु के निर्देशन में ही योग करें।
  • ख़ान-पान में संयम बरते। समय से खाएं-पीए।
  • धूम्रपान सख्ती से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। अगर आपको तंबाकू या धूम्रपान की आदत है, तो योग अपनायें और यह बुरी आदत छोड़ने की कोशिश करें। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के उपाय )
  • नींद ज़रूर पूरी लें। शरीर को व्यायाम और पौष्टिक आहार के साथ विश्राम की भी जरूरत होती है। इसलिए समय से सोए।

अपने आप में और योग में विश्वास रखें। सकारात्मक सोच एक आदर्श योगाभ्यास की सच्ची साथी है। आपकी मानसिक दशा ओर दृष्टिकोण ही अंत में आपको योग से मिलने वाले तमाम फायदे दिलाती है।

यहाँ हमने सबसे ज्यादा किए जाने वाले योगासन की सूची दी है -

  • अधोमुखश्वानासन
  • अधोमुखवृक्षासन
  • आकर्ण धनुरासन
  • अर्धचन्द्रासन
  • अष्टांग नमस्कार
  • अष्टावक्रासन
  • बकासन या ककासन
  • बिडालासन या  मार्जरी आसन
  • चतुरङ्ग दण्डासन
  • जानुशीर्षासन
  • ञटर परिवर्तनासन
  • कर्नापीड़ासन
  • कौण्डिन्यसन
  • मत्स्येन्द्रासन
  • नावासन या परिपूर्णनावासन या नौकासन
  • पार्श्वकोणासन
  • पार्श्वोत्तनासन
  • पश्चिमोत्तानासन
  • पिन्च मयूरासन
  • प्रसारित पादोत्तानासन
  • सालम्बसर्वाङ्गासन
  • सुप्त पादांगुष्ठासन
  • सुर्य नमस्कार
  • त्रिकोणासन या उत्थित त्रिकोणासन
  • त्रिविक्रमासन
  • उपविष्टकोणासन
  • ऊर्ध्व धनुरासन या चक्रासन
  • ऊर्ध्व मुख श्वानासन
  • उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन
  • विपरीत दण्डासन
  • विपरीत वीरभद्रासन
  • वीरभद्रासन 1
  • वीरभद्रासन 2
  • वीरभद्रासन 3
  • योगनिद्रासन
  • MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Yoga for health
  • Catherine Woodyard. Exploring the therapeutic effects of yoga and its ability to increase quality of life . Int J Yoga. 2011 Jul-Dec; 4(2): 49–54. PMID: 22022122
  • Arndt Büssing et al. Effects of Yoga on Mental and Physical Health: A Short Summary of Reviews . Evid Based Complement Alternat Med. 2012; 2012: 165410. PMID: 23008738
  • Rosy Naoroibam et al. Effect of Integrated Yoga (IY) on psychological states and CD4 counts of HIV-1 infected patients: A randomized controlled pilot study . Int J Yoga. 2016 Jan-Jun; 9(1): 57–61. PMID: 26865772
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योग क्या है: योग के प्रकार, नियम व जीवन में योग का महत्व (What is Yoga: types, rules and Importance of yoga in life in Hindi)

मेरे इस blog में योग क्या है – योग के प्रकार, नियम व जीवन में योग का क्या महत्व है इसके बारे में बताया गया है|

Table of Contents

योग क्या है (What is yoga)?

योग शब्द संस्कृत की युज धातु से लिया गया है जिसका अर्थ है एकजुट होना या एकीकृत होना| इस प्रकार योग का अर्थ है जुड़ना| अर्थात योग द्वारा हमारा शरीर व मन आध्यात्मिक व भावनात्मक रूप से जुड़ता है|

योग, जीवन को स्वस्थ रखने की कला भी है और विज्ञान भी | योग में हम आसन, प्राणायाम व ध्यान द्वारा मन, श्वास व शरीर में सामंजस्य करना सीखते हैं| आसन शरीर में, प्राणायाम प्राणों में तथा ध्यान मन में सामंजस्य लाता है| आसन शरीर को स्थिर करते हैं तथा प्राणायाम व ध्यान मन को एकाग्र करते हैं| और मन की एकाग्रता तभी संभव है जब शरीर स्वस्थ हो| इस प्रकार योग का अभ्यास करके अपने व्यक्तित्व को स्थिर (stable) रखा जा सकता है| योग तनाव-मुक्त होने में भी हमारी मदद करता है|

योग सिर्फ आसनों तक ही सिमित नहीं है, बल्कि योग का आंतरिक विज्ञान के रूप में भी प्रयोग किया जाता है| इसके द्वारा व्यक्ति शरीर व मन के बीच सामंजस्य स्थापित कर आत्म साक्षात्कार करता है और वह योगी कहलाता है| योगी व्यक्ति ही मुक्तावस्था, निर्वाण, कैवल्य या मोक्ष के मार्ग पर जाता है| व्यक्ति के मन के विचारों का असर उसके शरीर के स्वास्थ्य पर पड़ता है| मन में स्वस्थ विचार होंगें तो शरीर भी स्वस्थ होगा|

What is Yoga in Hindi

योग के प्रकार (Types of yoga)

योग के कई प्रकार माने गए हैं जैसे राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, हठ योग, ध्यान योग, मंत्र योग, तंत्र योग, लय योग आदि| हम यहाँ योग के चार प्रकारों का विवरण करेंगे| राज योग, कर्म योग, भक्ति योग व ज्ञान योग|

यह हमें कर्म के मार्ग पर चलाता है तथा नकारात्मक होने से बचाता है| कर्म योग में हम शरीर का प्रयोग करते हैं| जब हम अपना काम करते हैं, दूसरों की सेवा करते हैं, निस्वार्थ भाव से जीवन जीते हैं तो यह कर्म योग कहलाता है|

भक्ति योग को मन का योग माना गया है | इसमें हम भावना का प्रयोग करते हैं| यह हमें भक्ति के मार्ग के बारे में बताता है| यह भावनाओं को नियंत्रित करता है| यह मन में सकारात्मकता लाकर मन को ईश्वर की ओर लगाने में मदद करता है|

ज्ञान योग बुद्धि का योग है| ज्ञानार्जन करना ही ज्ञान योग है| इससे बुद्धि का विकास होता है|)

राज योग में राज का अर्थ है शाही| यह सभी योगों का राजा कहलाता है| इसे अष्टांग योग भी कहा जाता है| इसके आठ अंग हैं| इन्हें दो भागों में बांटा गया है| 1: बहिरंग व 2: अंतरंग | प्रथम पांच अंग बहिरंग तथा अंतिम तीन अंग अंतरंग कहलाते हैं| प्रथम पांच अंगों का अभ्यास योग-विद्या में प्रवेश करने की तैयारी माना गया है| इनका अभ्यास साधारण लोग कर सकते हैं| लेकिन बाकी तीन अंगों का अभ्यास केवल ऋषि, मुनि और योगी ही कर पाते हैं| अष्टांग योग के आठ अंग निम्नलिखित हैं:

यह समाज के उद्धार के लिए है| यह व्यक्ति के मन से सम्बंधित है| सामाजिक जीवन जीना ही यम कहलाता है| अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी| इसका अभ्यास करके व्यक्ति अहिंसा, सच्चाई, पवित्रता व त्याग करना सीखता है| हम पेड़ लगाकर छाया देते हैं और प्याऊ लगाकर पानी आदि| ये हम समाज को देते हैं और समाज आने वाली अगली पीढ़ी को देता है|

नियम वे ढंग हैं जो व्यक्ति के शारीरिक अनुशासन से सम्बंधित हैं| यह शरीर व अपने व्यवहार को अच्छा बनाने के लिए है| सुबह समय पर उठकर, fresh होकर, नहाना-धोना, योग-कक्षाओं में जाना, अपने व शरीर को ठीक रखना, ये सभी नियम में आता है|

शरीर को अधिक से अधिक समय तक एक विशेष स्थिति में रखना आसन कहलाता है| आसन का अभ्यास शरीर तथा मन में स्थायित्व लाने में सक्षम है| मांसपेशियों पर खिंचाव लगाना व ढीला करना| शरीर को दाएं मोड़ना, बाएं मोड़ना, ताकि मांसपेशियां नर्म हो सकें तथा शरीर ठीक प्रकार से कार्य कर सके और हम अपनी बीमारियों को ठीक कर सकें आदि|

4. प्राणायाम:

प्राणायाम का अर्थ है प्राण पर नियन्त्रण करना| श्वास लेना, श्वास छोड़ना व श्वास रोक कर रखना अपने आप में प्राण नहीं है, बल्कि एक संकेत है कि प्राण क्रियाशील है| प्राण कोई भौतिक वस्तु नहीं है , इसलिए हम इसे देख नहीं सकते| इसके अस्तित्व का अनुमान श्वसन प्रक्रिया से अवश्य कर सकते हैं| प्राणायाम केवल श्वास को ही नहीं बल्कि, इन्द्रियों और मन को भी सुव्यवस्थित करने की एक विधि है| सांस को अंदर खींचने व बाहर निकालने का सुव्यवस्थित व नियमित अभ्यास प्राणायाम कहलाता है| यह मन पर नियन्त्रण रखने में सहायक है| इससे मानसिक विकार दूर होते हैं|

Also Read: योगाभ्यास में किये जाने वाले आसन व प्राणायाम (Asanas and pranayamas performed in yoga)

5. प्रत्याहार:

प्रत्याहार के अभ्यास से व्यक्ति अपनी इन्द्रियों के द्वारा सांसारिक विषयों का त्याग करता है तथा अंतर्मुखी हो जाता है| वह अपने मन व इन्द्रियों को उनकी सम्बंधित क्रिया से हटाकर एकीकरण का प्रयास करता है| जैसे जब मन अंदर बाहर डोलता है| कभी मन करता है आँखें खोलकर देखूं, कभी मन करता है आँखें बंद कर लूँ| जब मन इन स्थितियों को control करके अंदर जाना सिख जाता है तो यह प्रत्याहार है|

धारणा एकाग्रता बढ़ाने के लिए है| इसमें व्यक्ति किसी एक विषय पर ध्यान लगाता है| जैसे नासिका पर हाथ लगाए बिना मन से महसूस करके अनुलोम-विलोम करना धारणा है| या कपालभाति करते समय रीढ़ पर चक्रों पर ध्यान लगाने से मूल चक्र प्रभावित होता है, यह भी धारणा है| धारणा के अभ्यास में व्यक्ति मन व योग के एकीकरण का प्रयास करता है, यह एकीकरण बाद में ध्यान में परिवर्तित हो जाता है|

यह चित को शुद्ध करने के लिए है| यह धारणा से आगे की अवस्था है| इसमें व्यक्ति सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर अपने आप में अंतर्ध्यान हो जाता है| अन्तर्मुखी हो जाना ही ध्यान है| अपने आप को जानना भी ध्यान है| मैं और मेरा शरीर कैसे कार्य करता है यह भी ध्यान है| ध्यान में व्यक्ति किसी भी विषय पर सोच सकता है| व्यक्ति पांचों तत्व पृथ्वी, जल, वायु आकाश के बारे में भी सोच सकता है| अन्तर्मुखी होकर कोई भी कार्य करना या ध्यान पूर्वक कोई भी कार्य करना ध्यान है| ध्यान सहजता से एक ही जगह बैठकर किया जाता है| आसन ठीक हो, बैठने की स्थिति ठीक हो, आसपास का वातावरण शुद्ध हो, मन शांत हो, तो ध्यान प्रभावशाली तरीके से हो पाता है|

यह राजयोग की अंतिम अवस्था है| जैसे-जैसे ध्यान गहरा होता जाता है वह समाधि का रूप ले लेता है| इस में शरीर, मन, इन्द्रियां आदि सभी शिथिल हो जाते हैं| यह स्थिति सबसे श्रेष्ठ है|

आजकल अष्टांग योग में से योग के तीन अंग ही प्रचलित हैं जिनका अभ्यास साधारण लोगों द्वारा किया जाता है| वे हैं – आसन, प्राणायाम व ध्यान |

योग के नियम या योग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें (Things to keep in mind)

  • योगासन करने से पहले कुछ व्यायाम अवश्य करना चाहिए जिससे शरीर warmup हो सके
  • आसनों के अभ्यास के समय शरीर के अंगों की गति तीव्र नहीं होनी चाहिए और शरीर को झटका भी नहीं आने देना चाहिए|
  • आसनों को तीव्र गति से नहीं किया जाता, इसलिए शक्ति का अपव्यय नहीं होता|
  • आसन करते समय जिस आसन का अभ्यास चल रहा हो, उसी से सम्बन्धित अंगों पर अपने ध्यान को केन्द्रित करना चाहिए|
  • यदि हम व्यायाम/योग नहीं करते तो मांसपेशियां संकुचित हो जाती हैं और शरीर में कड़ापन आ जाता है| इसलिए योग अवश्य करना चाहिए|
  • शुरू में आसनों का अभ्यास कुछ सेकंड तक करना चाहिए| धीरे-धीरे समय को बढ़ाना चाहिए|
  • किसी भी आसन में एक से तीन मिनिट तक रुकने का अभ्यास करना उचित माना गया है|
  • आसनों के अभ्यास के बाद सुखासन या शवासन में विश्राम करना चाहिए|
  • आसनों का अभ्यास स्वच्छ, खुले व हवादार स्थानों पर करना चाहिए|

जीवन में योग का महत्व (Importance of yoga in life in Hindi)

योग का हमारे जीवन में बहुत महत्व है| आज हम सभी को योग करने की जरूरत है| चाहे बच्चा हो या किशोर, वृद्ध हो या महिला, गृहस्थ हो या कर्मचारी सभी को स्वस्थ रहने की जरूरत है| योग द्वारा मांसपेशियां मजबूत बनती हैं, हड्डियां लचीली बनती हैं, हृदय, मस्तिष्क व गुर्दे आदि पुष्ट होते हैं, स्त्राव ग्रन्थियों से स्त्राव सही प्रकार से होता है, पूरे शरीर में रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है, पैर से सिर तक पूरा शरीर प्रभावित होकर स्वस्थ बनता है| शरीर स्वस्थ होने से मन शांत होता है, बुद्धि तीव्र व कुशाग्र होती है| स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है|

आजकल लोग अपनी व्यस्त जीवनशैली होते हुए भी कुछ समय निकालकर केवल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करते हैं| परन्तु केवल व्यायाम द्वारा शरीर को सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं रखा जा सकता| केवल योग ही है जिसके द्वारा शरीर के साथ-साथ मन-मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखा जा सकता है| योग करने से व्यक्ति के मस्तिष्क को ताकत मिलती है, दिमाग शांत होता है, तनाव दूर होता है तथा शारिरिक शक्ति का विकास होता है| योग का नियमित अभ्यास करने से निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति होती है जो जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं|

1. तनाव से मुक्ति

योग को अपने जीवन का हिस्सा बना कर हम तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं| योग के अंग आसन, प्राणायाम व ध्यान को अपनाकर हम तनाव, अवसाद व चिंता से मुक्त होकर अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं| प्राणायाम व ध्यान का अभ्यास करने से तो चिंता, तनाव, अवसाद व क्रोध का निदान होता ही है, लेकिन योग-आसनों का नियमित अभ्यास करने से भी तनाव व चिंता से मुक्ति मिलती है| शशकासन , भुजंगासन , सर्पासन , सेतुबंधासन , पादोतानासन, सर्वांगासन जैसे आसनों का नियमित अभ्यास करने से तनाव (stress), अवसाद व चिंता को कम करने में मदद मिलती है|

Also Read: स्ट्रेस/तनाव के लक्ष्ण व तनाव के निवारण के तरीके हिंदी में

2. सकारात्मक (Positive) मानसिकता का विकास

मन की एकाग्रता को योग द्वारा बढ़ाया जा सकता है| प्राणायाम व ध्यान का अभ्यास करने से concentration व confidence बढ़ता है व मानसिक शांति मिलती है तथा मस्तिष्क को ताकत मिलती है| इससे हमारे विचारों में सकारात्मकता आती है| अपनी श्वास को नियंत्रित करके हम अपने शरीर को नियंत्रित कर सकते हैं तथा अपने मन को शांत कर सकते हैं| इस प्रकार योग द्वारा तनाव, अवसाद, थकान तथा चिंता सम्बंधी विकारों को दूर करने में सहायता मिलती है| इससे सकारात्मक मानसिक विकास होता है|

3. शारीरिक स्वास्थ्य का विकास

आज बहुत से लोग केवल मोटापे से परेशान हैं| लेकिन योग द्वारा मोटापे के साथ-साथ पूरे शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है| योग करने से शरीर की आंतरिक उर्जा में सुधार आता है जो शारीरिक शक्ति का विकास करने में मदद करता है| योग स्नायुतंत्र (nervous system) तथा कंकाल तंत्र (skeletal system) को सुचारू रूप से कार्य करने में सहायता करता है| योग ह्रदय व नाड़ियों के लिए हितकर अभ्यास है| यह Diabetes, सांस की समस्या, High and Low B.P. आदि विकारों को राहत देने में लाभदायक है| इस प्रकार योग द्वारा शारीरिक स्वस्थ्य का विकास होता है|

4. निरोग्यता

योग द्वारा हम निरोग्यता को प्राप्त कर सकते हैं| निरोग व्यक्ति वह है जो स्वस्थ है| स्वस्थ व्यक्ति वह है जो शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक व सामाजिक रूप से स्थिर हो| ऐसा स्थिर व स्वस्थ व्यक्ति ही निरोगी हो सकता है जो योग द्वारा ही संभव है| योग का अभ्यास हमारे शरीर को प्रभावित कर स्वस्थता की ओर ले जाता है|

5. सहनशीलता

जो व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी धैर्य नहीं खोता वह सहनशील कहलाता है | यह सहनशीलता केवल योगाभ्यास द्वारा प्राप्त की जा सकती है|

6. जीवनशैली में सुधार

योगाभ्यास करने वाला आदर्श दिनचर्या का पालन करता है| जैसे नियत समय पर उठना या सूर्य उदय होने से पहले उठना, समय पर सोना, समय पर भोजन करना (न केवल समय पर भोजन करना बल्कि संतुलित व पौष्टिक आहार लेना), योग का अभ्यास करना आदि| इस प्रकार योगाभ्यास द्वारा व्यक्ति की जीवन शैली में सुधार आता है|

योग करने से न केवल हमारा शारीरिक विकास होता है बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक, भावनात्मक तथा सामाजिक विकास भी होता है| योग द्वारा नियमित अभ्यास करने से तनाव से भी मुक्ति पाई जा सकती है|

स्ट्रेस/तनाव के लक्ष्ण व भिन्न भिन्न अवस्थाओं जैसे तनाव/स्ट्रेस बच्चों में , स्ट्रेस/तनाव किशोरावस्था में , गर्भावस्था में तनाव , वृद्धावस्था में स्ट्रेस/तनाव आदि में होने वाले तनाव से कैसे निजाद पाई जा सकती है मेरे blog fitbrains.in में पूर्ण विवरण के साथ दिए गए हैं|

इस blog में हमने जाना कि योग क्या है (What is yoga)?, योग के प्रकार (Types of yoga), नियम व जीवन में योग का क्या महत्व है (Rules and Importance of yoga)|

इस विषय से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

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M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

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योग के महत्व पर निबंध (Importance of Yoga Essay in Hindi)

योग – अभ्यास का एक प्राचीन रूप जो भारतीय समाज में हजारों साल पहले विकसित हुआ था और उसके बाद से लगातार इसका अभ्यास किया जा रहा है। इसमें किसी व्यक्ति को सेहतमंद रहने के लिए और विभिन्न प्रकार के रोगों और अक्षमताओं से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यायाम शामिल हैं। यह ध्यान लगाने के लिए एक मजबूत विधि के रूप में भी माना जाता है जो मन और शरीर को आराम देने में मदद करता है। दुनियाभर में योग का अभ्यास किया जा रहा है। विश्व के लगभग 2 अरब लोग एक सर्वेक्षण के मुताबिक योग का अभ्यास करते हैं।

योग के महत्व पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Importance of Yoga in Hindi, Yog ke Mahatva par Nibandh Hindi mein)

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 10 वाक्य | योग पर 10 वाक्य

निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

योग का शब्द का उद्भव संस्कृत के ‘ युज ‘ धातु से हुआ है।  जिसका अर्थ है , शारीरिक और मानसिक शक्तियों का संयोग।योगएक अभ्यास है जो मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्वास्थ्यको बनाए रखता है। योग एक कला है जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ता है।

शारीरिक स्वास्थ्य में योग की भूमिका

लचीलापन – लोग आजकल कई प्रकार के दर्द से पीड़ित हैं। वे पैर की उंगलियों को छूने या नीचे की ओर झुकने के दौरान कठिनाइयों का सामना करते हैं। योग का नियमित अभ्यास सभी प्रकार के दर्द से राहत प्रदान करता है।

रक्त प्रवाह बढ़ाएं – योग आपके हृदय को स्वस्थ बनाने में मदद करता है और यह आपके शरीर और नसों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। यह आपके शरीर को ऑक्सीजन युक्त रखने में मदद करता है।

मानसिक  स्वास्थ्य में योग की भूमिका

आंतरिक शांति – योग आंतरिक शांति प्राप्त करने और तनाव के खिलाफ लड़ाई में मदद करता है। योग एक व्यक्ति में शांति के स्तर को बढ़ाता है और उसके आत्मविश्वास को और अधिक बढ़ाने तथा उसे खुश रहने में मदद करता है।

ध्यान केंद्रित करने की शक्ति – योग आपके शरीर को शांत करने और आराम करने में मदद करता है जिसका मतलब तनाव का कम होना है और आप अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर सकते है। यही कारण है कि बच्चों और किशोरों को योग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि यह उनकी पढ़ाई में बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

योग के नियम कापालन और प्रतिदिनअभ्यास करके हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते है।कहा गया है की स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वाश होता है।

निबंध – 2 (400 शब्द): योग के फायदे

शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में योग मदद करता है। शरीर और मन को शांत करने के लिए यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का एक संतुलन बनाता है। यह तनाव और चिंता का प्रबंधन करने में भी सहायता करता है और आपको आराम से रहने में मदद करता है। योग आसन शक्ति, शरीर में लचीलेपन और आत्मविश्वास विकसित करने के लिए जाना जाता है।

योग के फायदे

  • मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार
  • शरीर के आसन और एलाइनमेंट को ठीक करता है
  • बेहतर पाचन तंत्र प्रदान करता है
  • आंतरिक अंग मजबूत करता है
  • अस्थमा का इलाज करता है
  • मधुमेह का इलाज करता है
  • दिल संबंधी समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है
  • त्वचा के चमकने में मदद करता है
  • शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ावा देता है
  • एकाग्रता में सुधार
  • मन और विचार नियंत्रण में मदद करता है
  • चिंता, तनाव और अवसाद पर काबू पाने के लिए मन शांत रखता है
  • तनाव कम करने में मदद करता है
  • रक्त परिसंचरण और मांसपेशियों के विश्राम में मदद करता है
  • चोट से संरक्षण करता है

ये सब योग के लाभ हैं। योग स्वास्थ्य और आत्म-चिकित्सा के प्रति आपके प्राकृतिक प्रवृत्ति पर ध्यान केंद्रित करता है।

योग सत्र में मुख्य रूप से व्यायाम, ध्यान और योग आसन शामिल होते हैं जो विभिन्न मांसपेशियों को मजबूत करते हैं। दवाओं, जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, से बचने का यह एक अच्छा विकल्प है।

योग अभ्यास करने के मुख्य लाभों में से एक यह है कि यह तनाव कम करने में मदद करता है। तनाव का होना इन दिनों एक आम बात है जिससे शरीर और मन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। तनाव के कारण लोगों को सोते समय दर्द, गर्दन का दर्द, पीठ दर्द, सिरदर्द, तेजी से दिल का धड़कना, हथेलियों में पसीने आना, असंतोष, क्रोध, अनिद्रा और ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता जैसी गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं। समय गुज़रने के साथ इन प्रकार की समस्याओं का इलाज करने में योग वास्तव में प्रभावी है। यह एक व्यक्ति को ध्यान और साँस लेने के व्यायाम से तनाव कम करने में मदद करता है और एक व्यक्ति के मानसिक कल्याण में सुधार करता है। नियमित अभ्यास मानसिक स्पष्टता और शांति बनाता है जिससे मन को आराम मिलता है।

योग एक बहुत ही उपयोगी अभ्यास है जिसे करना बहुत आसान है और यह कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं, जो आज के जीवन शैली में सामान्य हैं, से भी छुटकारा पाने में मदद करता है।

Essay on Importance of Yoga in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द): योग की उत्पत्ति

योग की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द, ‘यूज’ (YUJ) से हुई है। इसका मतलब है जुड़ना, कनेक्ट या एकजुट होना। यह सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का संघ है। योग 5000 साल पुराना भारतीय दर्शनशास्त्र है। इसका सबसे पहले प्राचीन पवित्र पाठ – ऋग्वेद में उल्लेख किया गया था (वेद आध्यात्मिक जानकारी, गीत और ब्राह्मणों द्वारा इस्तेमाल होने वाले अनुष्ठानों, वैदिक पुजारियों के ग्रंथों का एक संग्रह थे)।

हजारों सालों से भारतीय समाज में योग का अभ्यास किया जा रहा है। योग करने वाला व्यक्ति अलग-अलग क्रियाएँ करता है जिसे आसन कहते हैं। योग उन लोगों को लाभ देता है जो इसका नियमित रूप से अभ्यास करते हैं।

योग में किए गए व्यायाम को ‘आसन’ कहा जाता है जो शरीर और मन की स्थिरता लाने में सक्षम हैं। योग आसन हमारे शरीर के अधिक वजन को कम करने और फिट रखने का सबसे सरल तरीका है।

योग की उत्पत्ति

योग का जन्म प्राचीन भारत में हजारों साल पहले हुआ था। सबसे पहले धर्म या विश्वास प्रणाली के जन्म से भी पहले। यह माना जाता है कि शिव पहले योगी या आदियोगी और पहले गुरु हैं। हजारों साल पहले हिमालय में कंटिसारोकर झील के तट पर आदियोगी ने अपने ज्ञान को महान सात ऋषियों के साथ साझा किया था क्योंकि इतने ज्ञान को एक व्यक्ति में रखना मुश्किल था। ऋषियों ने इस शक्तिशाली योग विज्ञान को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैलाया जिसमें एशिया, उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका शामिल हैं। भारत को अपनी पूरी अभिव्यक्ति में योग प्रणाली को प्राप्त करने का आशीष मिला हुआ है।

सिंधु-सरस्वती सभ्यता के जीवाश्म अवशेष प्राचीन भारत में योग की मौजूदगी का प्रमाण हैं। इस उपस्थिति का लोक परंपराओं में उल्लेख है। यह सिंधु घाटी सभ्यता, बौद्ध और जैन परंपराओं में शामिल है। अध्ययनों के अनुसार एक गुरु के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन के तहत योग का अभ्यास किया जा रहा था और इसके आध्यात्मिक मूल्य को बहुत महत्व दिया गया था। सूर्य को वैदिक काल के दौरान सर्वोच्च महत्व दिया गया था और इसी तरह सूर्यनमस्कार का बाद में आविष्कार किया गया था।

महर्षि पतंजलि को आधुनिक योग के पिता के रूप में जाना जाता है। हालाँकि उन्होंने योग का आविष्कार नहीं किया क्योंकि यह पहले से ही विभिन्न रूपों में था। उन्होंने इसे प्रणाली में आत्मसात कर दिया। उन्होंने देखा कि किसी को भी अर्थपूर्ण तरीके से समझने के लिए यह काफी जटिल हो रहा है। इसलिए उन्होंने आत्मसात किया और सभी पहलुओं को एक निश्चित प्रारूप में शामिल किया जिसे योग सूत्र कहते हैं।

आसन या योग पदों के अभ्यास में सांस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। सांस हमारे कार्यों के आधार पर एक महत्वपूर्ण बल है और ऑक्सीजन परिवर्तन हमारे शरीर की आवश्यकता है। अगर हम व्यायाम करते हैं तो हमें अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है इसलिए हम साँस तेजी से लेते है और अगर हम आराम करते हैं तो हम साँस आराम से लेते हैं। योग में धीमी गति से आसन करते समय पूरा ध्यान सांस पर एकीकृत करना होता है। योग अभ्यास आराम से साँस लेने और साँस छोड़ने को बढ़ावा देता है।

योग को आसान तक सीमित होने की वजह से आंशिक रूप से ही समझा जाता है, लेकिन लोगों को शरीर, मन और सांस को एकजुट करने में योग के लाभों का एहसास नहीं है। किसी भी आयु वर्ग और किसी भी शरीर के आकार के व्यक्ति द्वारा योग का चयन और इसका अभ्यास किया जा सकता है। यह किसी के लिए भी शुरू करना संभव है। आकार और फिटनेस स्तर से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि योग में विभिन्न लोगों के अनुसार प्रत्येक आसन के लिए संशोधन मौजूद हैं।

निबंध – 4 (600 शब्द): योग के प्रकार व उनके महत्व

योग आसन हमेशा योग संस्कृति में एक महत्वपूर्ण चर्चा रही है। विदेशों में स्थित कुछ योग स्कूलों में योग मुद्राओं को खड़े रहने, बैठेने, पीठ के बल लेटने और पेट के बल लेटने के रूप में वर्गीकृत किया गया है लेकिन योग के वास्तविक और पारंपरिक वर्गीकरण में कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग और क्रिया योग सहित चार मुख्य योग शामिल हैं।

योग के प्रकार व उनके महत्व

यहां योग के चार मुख्य मार्गों और उनके महत्व को समझने के लिए संक्षेप में देखें:

  • कर्म योग- यह पश्चिमी संस्कृति में ‘कार्य के अनुशासन’ के रूप में भी जाना जाता है। यह योग के चार महत्वपूर्ण भागों में से एक है। यह निस्वार्थ गतिविधियों और कर्तव्यों के साथ संलग्न हुए बिना तथा फ़ल की चिंता किए बिना कोई काम करना सिखाता है। यह मुख्य पाठ है जो कर्म योगी को सिखाया जाता है। यह उन लोगों के लिए है जो आध्यात्मिक पथ की खोज करते हैं और परमेश्वर के साथ मिलना चाहते हैं। इसका अपने नियमित जीवन में ईमानदार तरीके से नतीजे की चिंता किए बिना अपने कर्तव्य का संचालन करके भी अभ्यास किया जा सकता है। यह आध्यात्मिक विकास का मार्ग है। असल में कर्म जो हम करते हैं वह क्रिया है और उसका नतीज़ा इसकी प्रतिक्रिया है। व्यक्ति का जीवन अपने कर्म चक्र द्वारा शासित होता है। अगर उस व्यक्ति के अच्छे विचार, अच्छे कार्य और अच्छी सोच है तो वह सुखी जीवन जिएगा वहीँ वह व्यक्ति अगर बुरे विचार, बुरे काम और बुरी सोच रखता है तो वह दुखी और कठिन जीवन जिएगा आज की दुनिया में ऐसे निस्वार्थ जीवन जीना बहुत मुश्किल है क्योंकि मानव कर्म करने से पहले फ़ल की चिंता करने लगता है। यही कारण हैं कि हम उच्च तनाव, मानसिक बीमारी और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कर्म योग सभी भौतिकवादी रास्तों से छुटकारा पाता है और एक खुश और सफल जीवन का नेतृत्व करता है।
  • ज्ञान योग- इसे ‘विज़डम योग’ के रूप में भी जाना जाता है। यह सभी के बीच एक बहुत ही कठिन और जटिल रास्ता है। यह किसी व्यक्ति को गहरी अंतरात्मा के मन से ध्यान और आत्म-प्रश्न सत्र आयोजित करने के द्वारा विभिन्न मानसिक तकनीकों का अभ्यास करके आंतरिक आत्म में विलय करना सिखाता है। यह किसी व्यक्ति को स्थायी जागरूक और अस्थायी भौतिकवादी दुनिया के बीच अंतर करना सिखाता है। यह पथ 6 मौलिक गुणों – शांति, नियंत्रण, बलिदान, सहिष्णुता, विश्वास और ध्यान केंद्रित करके मन और भावनाओं को स्थिर करना सिखाता है। लक्ष्य को प्राप्त करने और सर्वोत्तम तरीके से इसे करने के लिए एक सक्षम गुरु के मार्गदर्शन में ज्ञान योग का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है।
  • भक्ति योग- इसे ‘आध्यात्मिक या भक्ति योग’ के रूप में भी जाना जाता है। यह दिव्य प्रेम के साथ जुड़ा हुआ है क्योंकि यह प्रेम और भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान का सबसे बड़ा मार्ग है। इस योग के रास्ते में एक व्यक्ति भगवान को सर्वोच्च अभिव्यक्ति और प्यार के अवतार के रूप में देखता है। इसकी मुख्य विशेषताएं हैं – भगवान का नाम जपना, उसकी स्तुति या भजन गाना और पूजा और अनुष्ठान में संलग्न होना। यह सबसे आसान और सबसे लोकप्रिय है। भक्ति योग मन और हृदय की शुद्धि से जुड़ा है और कई मानसिक और शारीरिक योग प्रथाओं द्वारा इसे प्राप्त किया जा सकता है। यह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी साहस देता है। यह मूल रूप से दयालुता का एहसास कराती है और परमात्मा को दिव्य प्रेम से शुद्ध करने पर केंद्रित है।
  • क्रिया योग- यह शारीरिक प्रथा है जिसमें कई शरीर मुद्राएं ऊर्जा और सांस नियंत्रण या प्राणायाम की ध्यान तकनीकों के माध्यम से की जाती हैं। इसमें शरीर, मन और आत्मा का विकास होता है। क्रिया योग का अभ्यास करके पूरे मानव प्रणाली को कम समय में सक्रिय किया जाता है। सभी आंतरिक अंग जैसे कि यकृत, अग्न्याशय आदि सक्रिय हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक हार्मोन और एंजाइमों को सक्रीय अवस्था में लाया जाता है। रक्त ऑक्सीजन की उच्च मात्रा को अवशोषित करता है और जल्द डी-कार्बोनाइज हो जाता है जो आम तौर पर बीमारियों की संख्या घटाता है। सिर में अधिक परिसंचरण के माध्यम से मस्तिष्क की कोशिकाओं को सक्रिय किया जाता है जिससे मस्तिष्क की कामकाजी क्षमता बढ़ जाती है और स्मृति तेज हो जाती है और व्यक्ति जल्दी थका हुआ महसूस नहीं करता।

योग गुरु या शिक्षक चार मौलिक मार्गों के समुचित संयोजन को पढ़ा सकते हैं क्योंकि ये प्रत्येक साधक के लिए आवश्यक है। प्राचीन कहावतों की माने तो उपरोक्त योग मार्ग प्राप्त करने के लिए गुरु के निर्देशों के तहत काम करना जरूरी है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2022 पर अधिक जानकारी

FAQs: Frequently Asked Questions on Importance of Yoga (योग के महत्व पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- भारत

उत्तर- पतंजलि योगपीठ भारत में।

उत्तर- भगवान शिव एवं दत्तात्रेय को योग का जनक माना जाता है।

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Embrace the Significance of Yoga in Hindi

Yoga About In Hindi

Yoga, a practice that transcends boundaries and brings harmony to mind, body, and soul, has found its profound roots in numerous cultures and languages around the world. Today, let’s dive into the significance of yoga in Hindi, a language that adds a unique essence to this ancient discipline. Whether you are a native Hindi speaker or simply intrigued by the beauty of this language, this article will take you on a journey to explore the world of yoga in Hindi.

Understanding the Significance of Yoga in Hindi

Witness the harmonious unity as these individuals delve into the depths of yoga in Hindi.

Yoga, known as “योग” in Hindi, holds a special place within the hearts of millions of Hindi-speaking individuals. It not only encompasses physical postures but also encompasses a comprehensive lifestyle, embracing the mind, body, and soul. The essence of yoga in Hindi lies in its ability to connect individuals with their true selves and the universe around them.

Brief Overview of Yoga as a Practice

Yoga, originating from ancient India, has evolved over thousands of years and has become a universally recognized practice for holistic well-being. This ancient discipline combines physical postures (asanas), breathing techniques (pranayama), meditation, and ethical principles to create a profound impact on one’s physical, mental, and spiritual health.

The beauty of yoga lies in its versatility, catering to individuals of all ages, fitness levels, and cultural backgrounds. It offers a path to self-discovery, self-improvement, and self-realization. As we delve deeper into this article, we will explore the historical roots, benefits, popular poses, philosophy, and resources available for learning yoga in Hindi.

So, are you ready to embark on this journey of discovering yoga in Hindi? Let’s dive in and unravel the secrets of this ancient practice that holds the power to transform lives.

History of Yoga in Hindi

Tracing the origins of yoga in ancient india.

To truly understand the significance of yoga in Hindi, we must delve into its rich historical roots. Yoga finds its origins in ancient India, dating back thousands of years. It emerged as a profound spiritual practice, intertwined with the teachings of Hinduism and other ancient Indian philosophies.

Yoga was initially transmitted through oral traditions, with sages and gurus passing down their wisdom from generation to generation. The ancient texts of the Vedas, Upanishads, and the Bhagavad Gita contain valuable insights into the philosophy and practice of yoga. These sacred scriptures have been preserved in various languages, including Hindi, ensuring the preservation of yoga’s essence for future generations.

Influence of Hindi Language on the Development of Yoga

As yoga evolved and spread across different regions of India, the Hindi language played a significant role in shaping its development. Hindi, an Indo-Aryan language, has been deeply influenced by Sanskrit, the ancient language of yoga. This influence is evident in the terminology and vocabulary used in yoga practices and teachings in Hindi-speaking communities.

The translation of ancient yoga texts into Hindi has made the wisdom and teachings of yoga more accessible to Hindi-speaking individuals. It has allowed them to connect with the profound teachings of ancient sages and apply them to their daily lives. This fusion of Hindi and yoga has created a unique platform for people to explore the transformative power of yoga in their native language.

By understanding the historical roots of yoga in Hindi, we gain a deeper appreciation for its cultural significance and the role it plays in the lives of Hindi-speaking individuals. Now, let’s move forward and explore the incredible benefits that yoga brings to the mind, body, and spirit.

Popular Yoga Poses in Hindi

Yoga is a beautiful blend of physical movements and breath control that allows individuals to achieve harmony between their mind and body. In this section, we will explore some popular yoga poses in Hindi, providing you with an introduction to common asanas and a step-by-step guide to performing key poses.

Introduction to Common Yoga Asanas in Hindi

Tadasana (ताड़ासन) – Mountain Pose: Stand tall with your feet together, grounding down through your feet while reaching up through the crown of your head. This pose helps improve posture and strengthens the legs.

Vrikshasana (वृक्षासन) – Tree Pose: Balance on one leg, placing the sole of the opposite foot on the inner thigh or calf. Extend your arms overhead, finding stability and focus. Vrikshasana enhances balance and stability.

Adho Mukha Svanasana (अधो मुख श्वानासन) – Downward-Facing Dog Pose: Begin on all fours, then lift your hips up and back, forming an inverted V shape with your body. This pose stretches the entire body and promotes relaxation.

Step-by-Step Guide to Performing Key Poses in Hindi

Bhujangasana (भुजंगासन) – Cobra Pose: Lie on your stomach, placing your palms beside your shoulders. Inhale and lift your chest off the ground, keeping your elbows close to your body. Bhujangasana strengthens the back muscles and improves flexibility.

Ustrasana (उष्ट्रासन) – Camel Pose: Kneel on the mat and arch your back, reaching your hands towards your heels. This pose opens up the chest and stretches the front of the body.

Savasana (शवासन) – Corpse Pose: Lie flat on your back, close your eyes, and relax your entire body. Savasana allows for deep relaxation and integration of the benefits gained from the practice.

By incorporating these asanas into your yoga practice, you can experience physical strength, flexibility, and a sense of calmness. Remember to listen to your body, honor its limitations, and gradually progress in your practice. Let’s continue our exploration of yoga in Hindi by delving into its philosophical aspects in the next section.

Yoga Philosophy in Hindi

Overview of the philosophical principles underlying yoga.

Yoga is not merely a physical practice but a profound philosophy that encompasses various principles and teachings. In this section, we will delve into the core philosophical foundations that form the bedrock of yoga. These principles provide a deeper understanding of the purpose and essence of yoga practice.

Articulation and Interpretation of Yoga Principles in Hindi

Just as language adds its unique flavor to any form of expression, Hindi language breathes life into the philosophical concepts of yoga. In this subsection, we will explore how yoga principles are articulated and interpreted in Hindi. We will uncover the rich vocabulary, metaphors, and poetic expressions used in Hindi to convey the profound wisdom of yoga philosophy.

By exploring the philosophical aspects of yoga in Hindi, we can gain a deeper appreciation for the spiritual and intellectual dimensions of this ancient practice. Join me as we unravel the intricate tapestry of yoga philosophy and its profound impact on those who embrace it in the Hindi language.

Resources for Learning Yoga in Hindi

If you’re an enthusiastic Hindi speaker looking to embark on your yoga journey, there are various resources available to help you learn and practice yoga in Hindi. Whether you prefer online platforms, books, or local resources, here are some recommendations to aid your exploration of yoga in Hindi.

Online Platforms

YouTube Channels : Explore Hindi yoga channels like “योग के जीवन” and “योग रहस्य” that offer instructional videos in Hindi. These channels provide guided yoga sessions, tutorials on specific asanas, and insightful discussions on the philosophy of yoga.

Websites : Visit websites like “प्राण की शक्ति” and “योग संसार” that provide comprehensive information, articles, and step-by-step guides on yoga in Hindi. These platforms often include videos, images, and detailed explanations to support your learning journey.

“योग दर्शन” by स्वामी विवेकानंद : This renowned book by Swami Vivekananda delves deep into the philosophy, principles, and practices of yoga. It offers valuable insights and guides you on the path of self-discovery through yoga in Hindi.

“योग सूत्र” by पतंजलि : Patanjali’s Yoga Sutras are considered the foundational text of yoga. This book, available in Hindi, provides a profound understanding of the philosophy and principles of yoga, guiding practitioners towards spiritual growth.

Local Resources

Yoga Centers and Studios : Look for yoga centers or studios in your area that offer classes conducted in Hindi. These centers often have experienced yoga teachers who can guide you through the practice and provide personalized instructions in Hindi.

Community Groups : Join local Hindi-speaking community groups or organizations that promote yoga and mindfulness. These groups may organize yoga workshops, sessions, or events conducted in Hindi, providing a supportive environment for your yoga journey.

By exploring these resources, you can dive deeper into the world of yoga, enhance your understanding of the practice, and connect with like-minded individuals who share your love for yoga in Hindi. Remember, the journey of yoga is a continuous process of self-exploration and growth, and these resources will serve as valuable companions along the way.

So, let’s embrace the significance of yoga in Hindi and embark on a transformative journey that nourishes our mind, body, and soul. Get started on your yoga path today and experience the profound benefits it brings to your life.

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योग के जरिये रहें स्वस्थ

योग का परिचय

योग एक प्राचीन पद्धति है जिसकी उत्पत्ति हजारों साल पहले भारत में हुई थी। यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें शारीरिक योग मुद्राएं, सांस लेने के व्यायाम, ध्यान और नैतिक सिद्धांत शामिल हैं जिनका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा में संतुलन प्राप्त करना और मिठास घोलना है। हिंदी में ‘योग’ का अर्थ (Yoga Meaning in hindi) है,जुड़ाव। जो हमारे अस्तित्व के अलग- अलग पहलुओं के मिश्रण का प्रतीक है।

यह प्रणाली, योग मुद्रा कल्याण और आंतरिक परिवर्तन को बढ़ावा देती है। योग ध्यान के माध्यम से, व्यक्ति मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक स्थिरता और आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त करते हुए अपनी शारीरिक शक्ति, लचीलेपन और संतुलन को बढ़ा सकते हैं। नीचे पढ़ें हिंदी में योग किसे कहते हैं (Yog kise kahate hain)

हिंदी में योग (Yog in hindi) जानने के लिए लेख को पढ़ना जारी रखें। योग का शारीरिक पहलू शायद सबसे प्रसिद्ध है। अभ्यास में आसन की एक लाइन का प्रदर्शन शामिल होता है, जिसे आसन के रूप में जाना जाता है और ये प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए योग के नाम से भी जाना जाता है जो शरीर को फैलाने, मजबूत करने और टोन करने में मदद करता है। शुद्ध श्वास तकनीक के साथ मिलकर ये आसन पूरे शरीर में महत्वपूर्ण और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं। शरीर में रक्त प्रवाह में सुधार करते हैं। इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देते हैं और स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं।

योग मुद्राएं सांस नियंत्रण या प्राणायाम के महत्व पर भी ध्यान देती हैं। सांस को सही तरीके से नियंत्रित और गहरा करके योग अभ्यास करने वाले अपने मन को शांत कर सकते हैं, तनाव कम कर सकते हैं और जीवन शक्ति बढ़ा सकते हैं। साँस लेने के व्यायाम हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहराई से प्रभाव डाल सकते हैं, जो विश्राम और आत्म-जागरूकता के लिए एक शक्तिशाली प्रभाव छोड़ सकते हैं।

इसके अलावा, ऊर्जा के लिए योग या लचीलेपन के लिए योग के शारीरिक व्यायाम और श्वास आसन के अलावा, ऐसे अभ्यास भी शामिल हैं जो दिमागी संतुलन बनाने के लिए किये जाते हैं। ऊर्जा के लिए योग या लचीलेपन के लिए योग या आसन आपको अपने जीवन में सकारात्मकता और स्थिरता लाने, खुद को शांत रखने और खुद से गहरे स्तर पर जुड़ने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, व्यक्तियों के लिए योग को अपनाना आवश्यक है ताकि उनके जीवन के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कारकों को नियंत्रित किया जा सके।

योग थेरेपी लोगों को खुद को इस तरह से ठीक करने की अनुमति देती है जिसका कोई महत्वपूर्ण दुष्प्रभाव नहीं होता है और उन्हें खुद से गहरे स्तर पर जुड़ने में मदद मिलती है। आपने जाना हिंदी में योग किसे कहते हैं (Yog kise kahate hain) अब आगे पढ़िए।

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योग- उपचार का एक जादुई मार्ग

योग शारीरिक बीमारियों और भावनात्मक और मानसिक असंतुलन को दूर करने, उपचार के दिव्य मार्ग के रूप में कार्य करता है। योग का अर्थ (Yog ka arth) बीमारियों को ठीक करना भी होता है। यह एक उपचार अभ्यास के रूप में, यह कई प्रकार के उपकरण और तकनीक प्रदान करता है जो कई स्तरों पर उपचार को बढ़ावा देते हैं।

शारीरिक रूप से, योग ध्यान विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों और चोटों से निपटने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, आसन और विशेष मुद्राओं के माध्यम से योग लचीलेपन में सुधार, मांसपेशियों को मजबूत करने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके अलावा, योग में हल्की स्ट्रेचिंग और ध्यान लगाना किसी भी पुराने दर्द को दूर कर सकती है, पाचन तंत्र में सुधार कर सकती है और शारीरिक प्रणालियों के कामकाज को बेहतर बना सकती है।

शारीरिक उपचार से परे, विश्राम के लिए योग आत्म-देखभाल के लिए जगह प्रदान करके भावनात्मकता का समर्थन करता है। योग में गति, सांस के प्रति जागरूकता और ध्यान लगाने से ताजगी और उपस्थिति की भावना बनती है, जिससे व्यक्ति अपनी भावनाओं और विचारों के बारे में अधिक जान सकते हैं। यह प्रक्रिया दबी हुई भावनाओं को मुक्त कर सकती है और भावनात्मक असंतुलन को नियंत्रित किया जा सकता है।

योग का अर्थ (Yog ka arth) मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करना भी होता है। यह मानसिक स्वास्थ्य को भी गहरा लाभ प्रदान करता है। यह मानसिक स्पष्टता, फोकस और लचीलेपन को बढ़ाता है, जिससे व्यक्तियों को जीवन की चुनौतियों का अधिक आसानी से सामना करने में मदद मिलती है।

योग के लाभ उन सभी के लिए हैं जो बेहतरी के लिए खुद को बदलना चाहते हैं और अधिक शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं और इन्हें योग से लाभ होता है। योग शांति, भावनात्मक स्थिरता, उपचार, आराम, आध्यात्मिक संबंध और खुद को बेहतर ढंग से समझने को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है। अधिकांश योग चिकित्सकों का मानना ​​है कि योग चिकित्सा एक ऐसी प्रणाली है की योग चिकित्सा के माध्यम से कोई भी अपने भीतर गहराई से उतर सकता है और महसूस कर सकता है कि खुद को ठीक करने के लिए उसे क्या करना चाहिए।

योग के पीछे का इतिहास क्या है?

हिंदी में योग का इतिहास (History of yoga in hindi) और उत्पत्ति हजारों साल पुराने प्राचीन भारत में देखी जा सकती है। जहां यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए एक संयुक्त प्रणाली के रूप में उभरा। योग की उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता में बताई गई है, जो लगभग 3000 ईसा पूर्व पहले विकसित हुई थी।

योग का सबसे पहला पुराना साक्ष्य सिंधु घाटी में खोजी गई योग मुद्राओं वाली आकृतियों को दर्शाने वाली पशुपति मुहर में पाया जा सकता है। इन मुहरों से पता चलता है कि उस समय योग प्रथाएँ प्रचलित थीं, हालांकि उनकी सटीक प्रकृति और उद्देश्य के कोई प्रमाण नहीं हैं।

एक दार्शनिक और व्यावहारिक अनुशासन के रूप में योग के व्यवस्थित विकास का श्रेय प्राचीन ऋषि पतंजलि को दिया जा सकता है। दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास लिखे गए पतंजलि के योगसूत्र, शास्त्रीय योग के मूलभूत पाठ के रूप में काम करते हैं। इस पाठ में, पतंजलि ने योग के दर्शन और प्रथाओं को एक व्यवस्थित आठ-अंग वाले मार्ग में स्थापित किया, जिसे अष्टांग योग के रूप में जाना जाता है।

इसकी उत्पत्ति कहां से हुई?

हिंदी में योग का इतिहास (History of yoga in hindi) बताता है की, योग की जड़ें पतंजलि के समय से भी आगे तक जाती हैं। वेद, लगभग 1500-500 ईसा पूर्व के प्राचीन भारतीय ग्रंथ, आध्यात्मिक प्रथाओं और अनुष्ठानों के बारे में हैं जो योगिक अवधारणाओं के प्रोटोटाइप हैं। उदाहरण के लिए, ऋग्वेद में दैवीय शक्तियों और आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता को समर्पित भजन शामिल हैं। उपनिषद, जो बाद में आए, ने योग के दार्शनिक आधारों सहित स्वयं और वास्तविकता की प्रकृति के विचारों की खोज की।

विभिन्न विद्यालयों और परंपराओं की उत्पत्ति के साथ योग का विकास जारी रहा। उदाहरण के लिए, हिंदू दर्शन के पवित्र ग्रंथ भगवत गीता ने भक्ति योग (भक्ति का मार्ग), कर्म योग ( कर्म का मार्ग), और ज्ञान योग (ज्ञान का मार्ग) की अवधारणा पेश की। ये मार्ग दैनिक जीवन में आध्यात्मिक सिद्धांतों के मिश्रण और आत्म-प्राप्ति के उद्देश्य पर जोर देते हैं।

मध्यकाल के दौरान, योग बहुत बढ़ा है और यह इसके कई प्रकार हुए हैं। परिणामस्वरूप, हठ योग, जो शारीरिक मुद्राओं (आसन) और सांस नियंत्रण (प्राणायाम) पर जोर देता है, को महत्व मिला। हठ योग, 15वीं शताब्दी में स्वामी स्वात्माराम द्वारा लिखित एक क्लासिक पाठ, एक आवश्यक कार्य बन गया जिसने हठ योग की प्रथाओं और तकनीकों को बताया है ।

धीरे-धीरे, योग भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया, जहां भक्ति और शैव धर्म के प्रभाव ने योग के अन्य रूपों, जैसे कुंडलिनी योग, तंत्र योग और लय योग को जन्म दिया। तनाव से राहत के लिए योग की इन प्रथाओं में मंत्र, अनुष्ठान और आत्मा की ऊर्जा से संबंधित गतिविधियां शामिल थीं। इसके अलावा, योग ने ज्योतिष में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इन वर्षों में, योग कई आधुनिक रूपों में विकसित हुआ है, जैसे हठयोग, विन्यास योग, अष्टांग योग, अयंगर योग, बिक्रम योग और भी बहुत कुछ। शुरुआती और उन्नत अभ्यासकर्ताओं के लिए योग के ये नए रूप आध्यात्मिक जागृति, विकास, ज्ञानोदय और भावनात्मक स्थिरता के लिए आदर्श हैं।

ज्योतिष में योग का क्या महत्व है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिंदी में योग की परिभाषा (Definition of yoga in hindi) है कि मानव शरीर का प्रत्येक तत्व किसी न किसी पहलू से जुड़ा होता है। उदाहरण के लिए, आपकी भावनात्मक स्थिरता आपके मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित है। इसी तरह, आपके चक्र आपके अच्छे स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, ज्योतिष और योग आपके चक्रों को संतुलित करने और यहां तक ​​कि आपके ग्रहों के लाभों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए साथ-साथ काम कर सकते हैं।

कुछ योग ध्यान अभ्यास आपके सत्तारूढ़ ग्रहों और कुंडली के पहलुओं को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं और यहां तक ​​कि आपके इष्ट देवता जैसे देवताओं को भी प्रसन्न कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, शक्ति के लिए एक विशेष योग न केवल आपको बल्कि आपके आस-पास के आध्यात्मिक तत्वों के साथ आपके रिश्ते को भी बढ़ा सकता है।

ज्योतिष की दृष्टि से योग के कुछ महत्व इस प्रकार हैं:

  • खुद को मानसिक रूप से तैयार करें: विश्राम के लिए योग या संतुलन के लिए योग के प्रभाव में आने वाले आसन करने से आपको ध्यान केंद्रित करने, स्थिरता बनाए रखने, तनाव मुक्त करने और बेहतर आराम करने में मदद मिल सकती है।
  • अपनी ऊर्जा पर काम करें: ज्योतिष के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अपने चक्रों पर नियंत्रण प्राप्त करके और उन्हें अपनी पूरी क्षमता से उपयोग करके अपनी ऊर्जा या कंपन को बदल सकता है। योग चक्रों और हमारे अस्तित्व को संतुलित करने में मदद करता है।
  • आध्यात्मिक ज्ञान या जागृति की अनुमति दें: योग और ज्योतिष के मिश्रण के माध्यम से, लोग अपनी चेतना विकसित कर सकते हैं और अपने विचारों को समझ सकते हैं। साथ ही साथ बेहतर के लिए अपने जीवन को बदल सकते हैं।
  • शरीर, मन और आत्मा के साथ एक मजबूत संबंध बनाएं: जबकि ज्योतिष हमें आध्यात्मिक स्तर पर खुद को समझने की अनुमति देता है, योग हमें खुद के साथ एक स्थिर संबंध बनाने में सक्षम करेगा। ज्योतिष और योग के माध्यम से व्यक्ति अपने मन, आत्मा और शरीर को एक कर सकता है।

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योग के क्या फायदे हैं?

योग कई प्रकार के लाभ प्रदान करता है जिनमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक लाभ शामिल है। प्रत्येक व्यक्ति को योग से लाभ होता है इसलिए योगाभ्यास के कुछ प्रमुख लाभ यहां दिए गए हैं:

  • शारीरिक स्वास्थ्य: लचीलेपन के लिए योग आसन शक्ति, लचीलेपन और संतुलन में सुधार करते हैं। नियमित अभ्यास से मुद्रा में सुधार, मांसपेशियों और सहनशक्ति में वृद्धि हो सकती है। यह स्वस्थ कार्य का समर्थन करता है। पाचन में सुधार करता है, उसे ठीक कर देता है और शारीरिक फिटनेस को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, योग पुराने दर्द को दूर करने, हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए जाना जाता है।
  • तनाव में कमी और मानसिक स्पष्टता: चिंता के लिए योग और अवसाद के लिए योग में श्वास तकनीक (प्राणायाम) और ध्यान शामिल है। जो विश्राम को बढ़ावा देता है, तनाव को कम करता है और मन को शांत करता है। नियमित योग से फोकस, एकाग्रता और मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है, कार्य और उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।
  • भावनात्मक कल्याण: माइंडफुलनेस के लिए योग आत्म-जागरूकता और आत्मनिरीक्षण को प्रोत्साहित करता है। जिससे व्यक्तियों को अपनी भावनाओं से जुड़ने और भावनात्मक संतुलन की भावना पैदा करने की अनुमति मिलती है। यह अभ्यास शरीर में जमा तनाव और भावनात्मक रुकावटों को दूर करने, भावनात्मक उपचार और लचीलेपन को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह आत्म-करुणा और आत्म-विश्वास को भी बढ़ाता है और जीवन में सकारात्मक नजरिये को बढ़ावा देता है।
  • नींद की गुणवत्ता में सुधार: योग के आराम और तनाव कम करने वाले लाभ बेहतर नींद में योगदान कर सकते हैं। नींद के लिए योग करने से नियमित अभ्यास से व्यक्तियों को आराम करने, विचारों को कम करने और रात की अच्छी नींद के लिए अनुकूल विश्राम स्थिति प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, नींद के लिए योग शांति की भावना को बढ़ावा देता है। जिससे व्यक्तियों को नींद न आने से उबरने और गहरी, अधिक आरामदायक नींद का अनुभव करने में मदद मिलती है।
  • मन-शरीर संबंध में वृद्धि: योग शरीर, मन और सांस के एकीकरण पर जोर देता है। सचेतन गतिविधि और केंद्रित जागरूकता के माध्यम से व्यक्ति एक मजबूत मन-शरीर संबंध विकसित करते है। यह बढ़ी हुई जागरूकता व्यक्तियों को अपने शरीर के बारे में जानने, तनाव की पहचान करने और विश्राम के लिए लक्षित योग के साथ संबोधित करने में मदद करती है। इस मन-शरीर संबंध को विकसित करके, व्यक्ति अपने जीवन में लाभ को बढ़ा सकते हैं और सही विकल्प चुन सकते हैं जो उनके स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं।
  • आध्यात्मिक विकास: तनाव से राहत के लिए योग की गहरी आध्यात्मिक जड़ें हैं और यह आत्म-परिवर्तन और आध्यात्मिकता के लिए एक मार्ग प्रदान करता है। ध्यान, आत्म-चिंतन और नैतिक सिद्धांतों (यम और नियम) के अभ्यास के माध्यम से, व्यक्ति अपने और अपने आसपास की दुनिया के साथ अपने संबंध को गहरा कर सकते हैं। शक्ति के लिए योग किसी के आंतरिक स्वभाव की खोज को प्रोत्साहित करता है। जिससे ज्ञान प्राप्त होता है और जीवन में उद्देश्य और अर्थ की अधिक समझ पैदा होती है।

योग कितने प्रकार के होते हैं?

कई प्रकार की योगाभ्यास लोगों को स्वयं को बेहतर बनने में मदद करते हैं। प्रत्येक योग आसन के अपने लाभ, महत्व और करने का तरीका होता है। यहां योग के कुछ सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण रूप दिए गए हैं:

  • हठयोग: मुख्य रूप से संतुलन के लिए योग के रूप में जाना जाता है। यह बच्चों के लिए योग आसन शुरुआती लोगों के लिए योग आसन या शारीरिक मुद्रा और श्वास तकनीक या प्राणायाम को पूरी तरह से मिश्रित करता है। हठयोग सिर्फ वरिष्ठ नागरिकों के लिए योग नहीं है बल्कि इसे बच्चों के लिए योग के रूप में जाना जाता है। यह सुलभ है, करने में आसान है और काफी फायदेमंद है।
  • विन्यास योग: इस प्रकार का योग गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा है और गर्भधारण के लिए योग यही यह उत्तम है। गर्भावस्था के लिए यह योग महिलाओं को सांस लेने और चलने के बीच तालमेल बनाने में मदद कर सकता है। आसान गतिविधियों और आसान साँस लेने की तकनीकों के माध्यम से, विश्राम के लिए यह योग शक्ति और स्थिरता का निर्माण करता है।
  • अष्टांग योग: यह रूप निर्धारित श्वास अभ्यास के साथ आसन की दिनचर्या का पालन करता है। जबकि अधिकांश लोग योग के इस रूप को थोड़ा मुश्किल मान सकते हैं। अष्टांग योग एथलीटों के लिए योग है। इसे प्रमुख रूप से एथलीटों के लिए योग नाम से भी जाना जाता है। इसे वजन घटाने के लिए योग के नाम से भी जाना जाता है।
  • अयंगर योग: अयंगर योग आसन और सांस लेने पर जोर देता है। यह शरीर के उचित स्वरूप, श्वास और यहां तक ​​कि नजरिए पर भी ध्यान देता है। लोग प्रॉप्स का उपयोग भी कर सकते हैं, जिससे वे योग में बेहतर ढंग से शामिल हो सकें। इसे चोटों के लिए योग के नाम से भी जाना जाता है। तो, यदि आप पीठ दर्द के लिए योग की तलाश में हैं, तो अयंगर योग आपके लिए है। यह पीठ दर्द के लिए योग एकदम उपयुक्त है।
  • बिक्रम योग: योग के इस रूप को हॉट योगा के रूप में भी जाना जाता है और इसका किसी गर्म कमरे में अभ्यास किया जाता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कमरे में एक निश्चित तापमान होना चाहिए, और आपको सभी निर्धारित 26 आसन और दो साँस लेने के व्यायाम का पालन करना चाहिए।
  • कुंडलिनी योग: कुंडलिनी योग ऊर्जा और शक्ति के लिए होता है। यह लोगों को अपने भीतर तालमेल बिठाने और अपनी कुंडलिनी या आध्यात्मिक ऊर्जा की शक्ति को समझने की अनुमति देता है। कुंडलिनी योग शरीर के चक्रों में प्रवेश करता है और लोगों को अपनी ऊर्जा को मजबूत करने में सक्षम बनाता है।
  • यिन योग: एक स्थिर अभ्यास, यिन योग में 2-5 मिनट तक मुद्रा में रहना और अपनी सांस को शांत करना शामिल है। इसे एकाग्रता के लिए योग के नाम से जाना जाता है। एकाग्रता के लिए योग या यिन योग हमारे ‘क्यूई’ से संबंधित है, जो हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाली आंतरिक ऊर्जा है। व्यक्ति अपनी ऊर्जा को लंबे समय तक धारण करने वाले आसन के माध्यम से समान रूप से वितरित कर सकता है।
  • पुनर्स्थापनात्मक योग: यह रूप न केवल उपचार और ऊर्जा से संबंधित है, बल्कि पुनर्स्थापनात्मक योग को पाचन के लिए योग और ऊर्जा के संतुलन के लिए योग के रूप में भी जाना जाता है। पुनर्स्थापना योग अयंगर योग का एक हिस्सा है और ऐसे आसन से संबंधित है जो मन को ठीक करने, आराम करने और शांत करने में मदद करता है।

योग क्या है (yoga kya hai) तो, योग एक जादुई और उपचारात्मक अभ्यास है जो आंतरिक शांति, स्थिरता, अच्छे स्वास्थ्य और भावनात्मक समृद्धि को बढ़ावा देता है। योग के माध्यम से कोई भी व्यक्ति खुद को बेहतर बना सकता है। अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव ला सकता है और बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकता है। जबकि अधिकांश लोग योग क्या है (yoga kya hai) ,योग की वास्तविक शक्ति क्या है और लाभों को नहीं जानते हैं, योग को समर्पित इंस्टाएस्ट्रो पेजों के माध्यम से, आप हिंदी में योग की परिभाषा (Definition of yoga in hindi) जान सकते हैं और अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं और बेहतर के लिए अपना जीवन बदल सकते हैं। तो, अभी इंस्टाएस्ट्रो वेबसाइट पर जाएं, और अपने लिए एक नया और बेहतर जीवन बनाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-

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योग : आध्यात्मिक दृष्टिकोण – Philosophy of Yoga in Hindi

  • by Health 360
  • 21/06/2019 29/03/2021

Philosophy of Yoga in Hindi

योगा का इतिहास – History of Yoga in Hindi

माना जाता है की योग ( Philosophy of Yoga in Hindi) की शरुआत स्वयं भगवान शिव ने की थी शिवजी को आदियोगी के रूप में जाना जाता है। शिवजी को प्रथम योगी भी माना जाता है। सब कुछ शिव से ही आता है और शिव के पास वापस जाता है। शिव को एक निराकार रूप में वर्णित किया जाता है, एक अस्तित्व के रूप में नहीं।

शिव को प्रकाश के रूप में नहीं, बल्कि अंधकार के रूप में वर्णित किया जाता है। केवल एक चीज जो हमेशा है, वो अंधेरा ही है। प्रकाश का कोई भी स्रोत – चाहे प्रकाश दिया हो या सूर्य – अंततः प्रकाश को देने की क्षमता खो देगा। प्रकाश शाश्वत नहीं है, यह कभी ना कभी समाप्त होता है। अंधकार हमेशा है – यह शाश्वत है। हर जगह अंधेरा है। यह केवल एक चीज है जो हमेशा व्याप्त है। जब हम “शिव” कहते हैं, तो हम एक योगी, आदियोगी या प्रथम योगी, और प्रथम गुरु के बारे में बोल रहे होते हैंl आज योग विज्ञान के रूप में जो हम जानते हैं, वो “शिव” उन सबका आधार है।

योग का मतलब सिर्फ आपके सिर के बल खड़े होना या सांस रोककर रखना ही नहीं है, बलकि यह जीवन कैसे बनाया जाता है और इस जीवन को इसकी अंतिम संभावना तक कैसे ले जाया जा सकता है, इसकी आवश्यक प्रकृति को जानने के लिए योग विज्ञान और तकनीक है।

योग का इतिहास ( History of Yoga in Hindi) इस ब्रह्मांड जितना पुराना है। भारत के लोग आदियोगी शिव को योग के पिता मानते हैं। आदियोगी एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है पहला योगी; आदि- प्रथम, योगी- योग करने वाला। उन्होंने वर्षों तक परमानंद में नृत्य किया। इसके बाद शिवजी ने पार्वती को योग / ध्यान की 112 तकनीकें समझाईं और यह विज्ञान भैरव में उपलब्ध हैं।

आदियोगी शिव ने ही सबसे पहले, मानव मन में योग सिद्धांत (Philosophy of Yoga in Hindi)  रखा था। इसके बाद सात ऋषि उनके पास आए और उन्हें उन्हें शिक्षा देने को कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उन सात लोगों की दृढ़ता को देखने के बाद, उन्होंने उन साथ ऋषियों को सिखाया। इसप्रकार योग का यह पहला प्रसारण हिमालय में केदारनाथ से कुछ मील की दूरी पर कांति सरोवर के तट पर हुआ। उन सात ऋषियों ने सीखा और योग सिखाने के लिए अलग-अलग दिशाओं में चले गए। बाद में इन्हें ही सप्त-ऋषि के रूप में जाना गयाl स्वयं भगवान शिव ही हैं जिन्होंने सप्तऋषियों या उनके सात शिष्यों को योग विज्ञान की शिक्षा दी। ये सात लोग ऐसे थे जो पूरे शिव से प्राप्त योग विद्या प्राप्त किया और उसके साक्षी बने। ये सात ऐसे लोग थे, जो शिव के परमानंद के पीछे के जादू को जानना चाहते थे। सबसे पहले उन्हें शिव द्वारा मना किया गया था क्योंकि वे इसके पीछे के विज्ञान को जानने के लिए तैयार नहीं थे, जिसे हम अब योग कहते हैं।

आखिरकार इन सात लोगों ने शिव से इस विद्या को जानने के लिए लगातार तैयारी की और वर्षों तक काम किया। फिर शिव ने इतने लंबे समय के बाद उन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन योग सिखाने का फैसला किया। और जो उन्होंने उन्हें सिखाया वह योग है।

योग शारीरिक भलाई के लिए एक सिर्फ एक व्यायाम ही नहीं है। यह निर्वाण(मोक्ष) की ओर मार्ग (विज्ञान) में से एक है।

योग को संदर्भित करने वाली पहली किताबें प्राचीन तंत्र और बाद में वेद थे जो उस समय के बारे में लिखे गए थे जब सिंधु घाटी की संस्कृति पनप रही थी। हालांकि वे तंत्र और वेद  किसी विशेष योग के बारे में नही बताते हैं, वे प्रतीकात्मक रूप से योग का वर्णन करते हैं। वास्तव में, वेदों के श्लोकों को ऋषियों, द्रष्टाओं द्वारा गहन, योग ध्यान या समाधि की अवस्थाओं में सुना जाता था, और उन्हें (तंत्र / वेद को ) प्रकट ग्रंथ माना जाता है।

हालांकि,  उपनिषदों में योग एक अधिक निश्चित आकार (Introduction of Yoga in Hindi) लेना शुरू करता है। इन शास्त्रों को सामूहिक रूप से वेदांत, वेदों की पराकाष्ठा, और वेदों का सार (Philosophy of Yoga in Hindi)  समाहित बताया गया है। योग सूत्र पर ऋषि पतंजलि के ग्रंथ ने योग की पहली निश्चित, एकीकृत और व्यापक प्रणाली को सूचीबद्ध किया। इसमें यम, आत्म-संयम, नियम, आत्म-निरीक्षण, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, बाहरी वातावरण से चेतना का पृथक्करण, धरणा, एकाग्रता, ध्यान और समाधि शामिल हैं। 6 ठी शताब्दी ईसा पूर्व में, भगवान बुद्ध के प्रभाव ने ध्यान, नैतिकता और नैतिकता के आदर्शों को सामने लाया और योग की पहले से चली आ रही प्रथाओं को आगे बढाया।

हालांकि, भारतीय विचारकों ने जल्द ही इस दृष्टिकोण की सीमाओं को महसूस किया। योगी मत्स्येन्द्रनाथ ने सिखाया कि ध्यान की अवस्था में जाने की असल तैयारी करने से पहले, शरीर और उसके तत्वों को शुद्ध करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने ही नाथ पंथ की स्थापना की। उनके प्रमुख शिष्य, गोरखनाथ, ने स्थानीय बोली और हिंदी में हठ योग पर पुस्तकें लिखीं। कुछ मामलों में उन्होंने अपने लेखन को प्रतीकात्मकता में ढाला ताकि शिक्षण के लिए तैयार लोग ही इसे समझ पाएँ। हठ योग पर सबसे उत्कृष्ट अधिकारियों में से एक, स्वामी आत्माराम ने, इस विषय पर सभी विलुप्त सामग्री को समेटते हुए, संस्कृत में ‘हठ योग प्रदीपिका’, और ‘योग पर प्रकाश’ लिखा। हठ योग प्रदीपिका में लिखा है कि योग शरीर से शुरू होता है और बाद में, जब मन बिलकुल स्थिर और संतुलित हो जाता है फिर आत्म-नियंत्रण और आत्म-अनुशासन मे विलिप्त होता है।

आज फिरसे आध्यात्मिक विरासत को पुनः प्राप्त करने कि कोशिश कि जा रही है, जिसमें योग का योगदान बहुत अधिक है। जबकि योग का केंद्रीय विषय आध्यात्मिक पथ ही सर्वोच्च लक्ष्य है, योगिक अभ्यास हर किसी को कम से कम उनके आध्यात्मिक उद्देश्यों की परवाह किए बिना प्रत्यक्ष और मूर्त लाभ तो देता ही है। शारीरिक और मानसिक चिकित्सा योग की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है, जो कि इसे इतना शक्तिशाली और प्रभावी बनाती है, इसका कारन ये भी है कि यह सद्भाव और एकीकरण के संपूर्ण सिद्धांतों पर काम करती है।अस्थमा , मधुमेह , रक्तचाप , गठिया , पाचन विकार और पुरानी प्रकृति के अन्य रोगों के उपचार में योग वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में सफल है। एचआईवी पर योगिक प्रथाओं के प्रभावों पर शोध वर्तमान में आशाजनक परिणामों के साथ चल रहा है। चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार, तंत्रिका और अंतःस्रावी प्रणालियों में बनाए गए संतुलन के कारण योग चिकित्सा सफल होती है जो शरीर के अन्य सभी प्रणालियों और अंगों को सीधे प्रभावित करती है।

ज्यादातर लोगों के लिए, योग एक तनावपूर्ण वातावरण में स्वास्थ्य और कल्याण बनाए रखने का एक साधन (Yoga ka mahatva in Hindi) है। कुछ आसन कुर्सी पर बैठे कार्यालय में एक डेस्क पर करके भी शारीरिक परेशानी को दूर करते हैं। व्यक्तियों की जरूरतों से परे, योग के अंतर्निहित सिद्धांत सामाजिक अस्वस्थता का मुकाबला करने के लिए एक वास्तविक उपकरण प्रदान करते हैं। ऐसे समय में जब दुनिया को नुकसान हो रहा है, योग लोगों को अपने सच्चे स्वयं के साथ जुड़ने के अपने तरीके को खोजने के लिए एक साधन प्रदान करता है। अपने वास्तविक स्वयं के साथ इस संबंध के माध्यम से लोगों के लिए वर्तमान युग में सदभाव प्रकट करना संभव है।

योग केवल शारीरिक व्यायाम ही नही है, बल्कि, यह जीवन के एक नए तरीके को स्थापित करने के लिए एक सहायता देता है जो आंतरिक और बाहरी दोनों वास्तविकताओं को मिलाता है। हालाँकि, जीवन का यह तरीका एक अनुभव है जिसे बौद्धिक रूप से नहीं समझा जा सकता है और यह केवल अभ्यास और अनुभव के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता हैl

योगा परिभाषा – Definition of Yoga in Hindi

योग शब्द संस्कृत मूल‘ युग ’ (Philosophy of Yoga in Hindi) से लिया गया है जिसका अर्थ है संघ। योग का अंतिम लक्ष्य व्यक्तिगत चेतना (आत्म) और सार्वभौमिक परमात्मा (परमात्मा) के बीच का मिलन(मोक्ष) है।

योग एक प्राचीन आध्यात्मिक विज्ञान  है जो मन, शरीर और आत्मा को सामंजस्य या संतुलन में लाना चाहता है। योग एक ऐसा विज्ञान है जिससे हम द्वंद्व में एकता लाते हैं।

योग के 4 मार्ग (Yoga ke prakar in Hindi) हैं, या 4 तरीके हैं जिनसे संघ को प्राप्त किया जा सकता है:

(a) भक्ति योग – प्रेम और प्रभु के प्रति समर्पण के माध्यम से

(ख) कर्म योग – दूसरों के लिए नि: स्वार्थ सेवा के माध्यम से

(c) ज्ञान योग – बुद्धि और ज्ञान के माध्यम से

(d) राज योग – बाहरी और आंतरिक शरीर के वैज्ञानिक और व्यवस्थित अध्ययन के माध्यम से। इसमें पतंजलि का अष्टांग योग (या योग के आठ अंग) शामिल हैं।

ऋषि पतंजलि ने योग को “चित्त वृत्ति निरोध” या मानसिक उतार-चढ़ाव पर अंकुश के रूप में परिभाषित किया है (भटकने वाले मन पर नियंत्रण)। योग सूत्र में, उन्होंने राजयोग को अष्ट अंग या आठ अंग में विभाजित किया। योग के 8 अंग हैं:

योग के 8 अंग – 8 Types of Philosophy of  Yoga in Hindi

(1) यम:  – yam philosophy of yoga in hindi.

ये नैतिक नियम हैं जिन्हें एक अच्छा और शुद्ध जीवन जीने के लिए देखा जाना चाहिए। यम हमारे व्यवहार और आचरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे करुणा, अखंडता और दया की हमारी वास्तविक अंतर्निहित प्रकृति को सामने लाते हैं। यम के पांच पेटा प्रकार  हैं :

(a) अहिंसा – इसमें सभी कार्यों में विचारशील होना, और दूसरों के बारे में ख़राब न सोचना या उन्हें नुकसान न पहुंचाने की इच्छा शामिल है। विचार या कर्म से किसी भी जीवित प्राणी को पीड़ा न दें।

(b) सत्य  – सत्य बोलो सिर्फ सत्य बोलना ही इसमें शामिल नहीं हैं क्योंकि की एक के लिए सत्य दूसरे के लिए असत्य भी हो सकता हैं , लेकिन विचार और प्रेम से सत्य बोलो। इसके अलावा, अपने विचारों और प्रेरणाओं के बारे में अपने आप से सच्चे रहें।

(c) ब्रह्मचर्य ( कामुकता पर नियंत्रण) – हालाँकि कुछ शाखाएं इसे यौन गतिविधि से ब्रह्मचर्य या कुल संयम के रूप में व्याख्या करते हैं, लेकिन यह वास्तव में संयम और जिम्मेदार यौन व्यवहार को संदर्भित करता है जिसमें आपके जीवनसाथी के प्रति ईमानदारी शामिल है। इसके अलावा यह क्रोध, लोभ, मोह, मद और अहंकार  जैसे विकारो से सयंमित करना भी संदर्भित करता हैं

(d) अस्तेय (गैर-चोरी, गैर-लोभ) – अस्तेय का व्यापक अर्थ है – चोरी न करना तथा मन, वचन और कर्म से किसी दूसरे की सम्पत्ति को चुराने की इच्छा न करना।

(e) अपरिग्रह (गैर-स्वामित्व) – भौतिक वस्तुओं की संग्रह न करें। केवल वही अर्जित करें जो आपने कमाया है।

(2) नियम : Niyam Philosophy of Yoga in Hindi

ये कानून हैं, जिनका हमें आंतरिक रूप से शुद्ध पालन करना है। 5 पर्यवेक्षण हैं:

(a) सुचा (स्वच्छता) – यह बाह्य स्वच्छता (स्नान) और आंतरिक स्वच्छता (षट्कर्म, प्राणायाम और आसन के माध्यम से प्राप्त) दोनों को संदर्भित करता है। इसमें शारीरिक स्वछता के साथ साथ क्रोध, घृणा, वासना, लालच आदि जैसे नकारात्मक भावनाओं के दिमाग को साफ करना भी शामिल है।

(b) संतोष  – संतुष्ट रहें और जो आप दूसरों से लगातार तुलना कर रहे हैं या अधिक चाहते हैं उसके बजाय संतुष्ट रहें।

(c) तापस (ताप या अग्नि) – इसका अर्थ है सही काम करने के लिए दृढ़ संकल्प की आग। यह हमें प्रयास और तपस्या की गर्मी में ‘इच्छा और नकारात्मक ऊर्जा’ को जलाने में मदद करता है।

(d) स्वध्याय (सेल्फ स्टडी) – स्वयं की परीक्षा – अपने विचार, अपने कर्म। सच में अपने स्वयं के प्रेरणाओं को समझते हैं, और सब कुछ पूरी आत्म-जागरूकता और दिमाग से करते हैं। इसमें हमारी सीमाओं को स्वीकार करना और हमारी कमियों पर ध्यान देना और उसको पूरी करने के लिए काम करना शामिल है।

(e) ईश्वर प्रणिधान (ईश्वर के सामने समर्पण) – यह स्वीकार करें कि परमात्मा सर्वव्यापी है और अपने सभी कार्यों को इस ईश्वरीय शक्ति को समर्पित करता है। सब कुछ नियंत्रित करने की कोशिश मत करो – एक बड़ी ताकत में विश्वास रखो और बस जो है उसे स्वीकार करें।

ये आम तौर पर प्रकृति और जानवरों (जैसे डाउनवर्ड डॉग, ईगल, फिश पोज़ आदि) के प्रतीक के रूप में किए जाते हैं। आसन की 2 विशेषताएं हैं: सुखम (आराम) और स्थिरता। योग आसन का अभ्यास करना लचीलापन और शक्ति बढ़ाता है, आंतरिक अंगों की मालिश करता है, आसन (Posture) में सुधार करता है, मन को शांत करता है और शरीर को विशुद्ध( detoxify) करता है। ध्यान के अंतिम लक्ष्य के लिए मन को मुक्त करने के लिए आसन के नियमित अभ्यास से शरीर को मजबूत, और रोग मुक्त बनाना आवश्यक है। यह माना जाता है कि 84 लाख आसन हैं, जिनमें से लगभग 200 का उपयोग आज नियमित अभ्यास में किया जाता है।

(4) प्राणायाम:

प्राण (प्राण ऊर्जा या प्राण शक्ति) आंतरिक रूप से श्वास से जुड़ा हुआ है। प्राणायाम का उद्देश्य मन को नियंत्रित करने के लिए सांस को नियंत्रित करना है ताकि अभ्यासी मानसिक ऊर्जा की उच्च अवस्था को प्राप्त कर सके। सांस को नियंत्रित करके, व्यक्ति 5 इंद्रियों पर और अंत में, मन पर महारत हासिल कर सकता है।

प्राणायाम के 4 चरण हैं:

  • साँस छोड़ना,
  • आंतरिक प्रतिधारण / कुंभक और
  •  बाहरी प्रतिधारण कुंभक।

(5) प्रत्याहार: 

बाह्य वस्तुओं के प्रति आसक्ति से इंद्रियों का हटना। हमारी अधिकांश समस्याएं – भावनात्मक, शारीरिक, स्वास्थ्य संबंधी – हमारे अपने दिमाग का परिणाम हैं। यह केवल इच्छा पर नियंत्रण पाने से है कि व्यक्ति आंतरिक शांति प्राप्त कर सकता है।

एक बिंदु पर समर्पित एकाग्रता से मन को भरना। एकाग्रता का एक अच्छा बिंदु प्रतीक ओम् या ओम ‘ ॐ’   है।

परमात्मा पर ध्यान केंद्रित करना। दिव्यता पर ध्यान करने से, आशा किया जाता है कि वह दिव्य बल के शुद्ध गुणों को अपने आप में आत्मसात कर लेगा।

यानि परम आनंद। यह वास्तव में “योग ’है या परमात्मा के साथ परम मिलन है। जो योग का आखरी चरण है

सबसे बड़े अर्थों में, योग को जीवन के एक तरीके के रूप में देखा जा सकता है, जो स्वयं और दुनिया के साथ सद्भाव में रहने का एक तरीका है, और एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हमारे पहले से मानने वाली (अवधारणा) मानसिक और शारीरिक सीमाओं से आगे बढ़ सकता है ताकि कुछ नया हासिल किया जा सके ।

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